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जबलपुर, 5 दिसंबर (Udaipur Kiran) । भारतीय रेलवे ने ट्रेन संचालन में सुरक्षा बढ़ाने के लिए स्वदेशी स्वचलित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (कवच) विकसित की है। यह प्रणाली ट्रेन की गति की निगरानी करती है और ड्राइवर की प्रतिक्रिया न होने पर स्वचालित ब्रेक लगाती है, जिससे दुर्घटनाओं की रोकथाम होती है। खराब मौसम में भी यह संचालन को सुरक्षित बनाती है। यह प्रणाली सभी प्रकार के भौगोलिक क्षेत्रों जैसे पहाड़ी, रेगिस्तानी और तटीय क्षेत्रों में प्रभावी होगी। पश्चिम मध्य रेलवे पर 24 सितंबर 2024 को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सवाई माधोपुर-इंदरगढ़ सेक्शन में इस ‘कवच’ प्रणाली का परीक्षण किया।
आईआरआईएसईटी सिकंदराबाद भारतीय रेलवे का एक प्रमुख संस्थान है, जो रेलवे कर्मियों और उद्योग पेशेवरों को सिग्नल और दूरसंचार विषयों पर प्रशिक्षण प्रदान करता है। इस संस्थान की स्थापना वर्ष 1957 में रेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा की गई थी।
आईआरआईएसईटी ने स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (कवच) और रेलवे सिग्नलिंग पर ज्ञान और कौशल का विस्तार करने के लिए शिक्षाविदों और उद्योग के बीच सहयोग बढ़ाकर क्षमता निर्माण की दिशा में कदम उठाए हैं। भारतीय रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूरसंचार संस्थान और राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय ने आरटीयू के छात्रों को रेलवे सिग्नलिंग और कवच को वैकल्पिक विषय के रूप में पेश करने के लिए आज 5 दिसंबर को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। एमओयू पर इरिसेट के महानिदेशक शरद कुमार श्रीवास्तव, आरटीयू के कुलपति प्रोफेसर एस.के.सिंह ने पश्चिम मध्य रेलवे कोटा के मुख्य सिग्नल और दूरसंचार इंजीनियर सचिन शुक्ला और राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय (आरटीयू) के डीन डॉ. वी. के. गोराना और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए।
एमओयू के माध्यम से यह साझेदारी राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय (आरटीयू) के छात्रों और शिक्षकों को इरिसेट की उन्नत सुविधाओं और प्रशिक्षण संसाधनों तक प्रदान करेगी, जिससे रेलवे सिग्नलिंग सिस्टम, विशेष रूप से कवच प्रणाली में छात्रों की समझ में काफी वृद्धि होगी और परिवहन के क्षेत्र में ज्ञान और कौशल में वृद्धि होगी। कवच प्रणाली ट्रेन की सुरक्षा करती है और रेल दुर्घटनाओं को कम करने में मदद करती है।
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक
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