Madhya Pradesh

जबलपुरः धान परिवहन में हेरा-फेरी के मामले में संलिप्त 74 अधिकारियों-कर्मचारियों पर एफआईआर

कलेक्टर दीपक सक्सेना की अध्यक्षता में सबंधित विभागों के अधिकारियों की बैठक
कलेक्टर दीपक सक्सेना की अध्यक्षता में सबंधित विभागों के अधिकारियों की बैठक

– अधिकारियों-कर्मचारियों पर एफआईआर से गेहूं उपार्जन और खाद्यान्न वितरण का कार्य न हो प्रभावितः कलेक्टर सक्सेना

जबलपुर, 21 मार्च (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश में धान परिवहन घोटाले का बड़ा मामला सामने आया है। जबलपुर जिला प्रशासन ने 74 अधिकारियों, कर्मचारियों और राइस मिलर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। भाजपा विधायक अजय विश्नोई की शिकायत पर यह कार्रवाई हुई है।

अंतर जिला मिलिंग की धान के परिवहन में की गई अफरा-तफरी तथा इसमें मिलर्स के साथ संलिप्त नागरिक आपूर्ति निगम और समितियों के अधिकारियों-कर्मचारियों पर दर्ज हुई एफआईआर की वजह से गेहूँ के उपार्जन एवं खाद्यान्न वितरण का कार्य प्रभावित न हो, इसे लेकर शुक्रवार को कलेक्टर दीपक सक्सेना की अध्यक्षता में सबंधित विभागों के अधिकारियों की बैठक आयोजित की गई।

जिला आपूर्ति नियंत्रक नुजहत बानो बकाई ने बताया कि बैठक में कलेक्टर सक्सेना द्वारा निर्देश दिये गये कि धान परिवहन में हुई हेरा-फेरी के इस प्रकरण में संलिप्त नागरिक आपूर्ति निगम तथा समितियों के अधिकारियों-कर्मचारियों के विरुद्ध हुई एफआईआर से गेहूँ के उपार्जन तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली का कार्य प्रभावित हुए बिना सुचारू रूप से संचालित होता रहे। सक्सेना ने इस संबंध में समय रहते सभी जरूरी कार्यवाही एवं आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने की हिदायत भी अधिकारियों को दी।

बैठक में जिला पंचायत के सीईओ अभिषेक गहलोत, अपर कलेक्टर नाथूराम गोंड, क्षेत्रीय प्रबंधक स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन, क्षेत्रीय प्रबंधक स्टेट वेयर हाउसिंग कॉपोरेशन, उपायुक्त सहाकारिता एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।

गौरतलब है कि भाजपा विधायक अजय विश्नोई ने मुख्यमंत्री मोहन यादव और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर घोटाले की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि जिले के बाहर के राइस मिलर्स, नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों और धान खरीदी केंद्र प्रभारियों की मिलीभगत से फर्जी रिलीज ऑर्डर के जरिए करोड़ों का घोटाला किया जा रहा है। जांच में सामने आया कि जिले के बाहर के 17 राइस मिलर्स से एग्रीमेंट किया गया था। इन्हें खरीदी केंद्रों से धान लेकर मिलिंग के बाद चावल नागरिक आपूर्ति निगम में जमा करना था। लेकिन मिलर्स ने धान का रिलीज ऑर्डर तो ले लिया, पर डिलीवरी नहीं ली। खरीदी केंद्र प्रभारियों ने भी मिलीभगत कर कागजों में धान की मात्रा कम दिखा दी।

जांच टीम ने टोल नाकों से जानकारी मांगी तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जिन ट्रकों से धान का परिवहन दिखाया गया, वे टोल से गुजरे ही नहीं। इसकी जगह बस, कार और टेंपो के फर्जी नंबरों से धान का परिवहन दिखाया गया। कुल 1 लाख 31 हजार क्विंटल धान का फर्जी परिवहन किया गया। रजिस्टर्ड ट्रकों के 614 ट्रिप होने थे, लेकिन केवल 15 ट्रक ही टोल से गुजरे। यानी 95 प्रतिशत परिवहन फर्जी तरीके से दिखाया गया। टोल नाकों के सीसीटीवी फुटेज और टोल पर्चियों से यह घोटाला सामने आया है।

(Udaipur Kiran) तोमर

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