
रांची, 26 मई (Udaipur Kiran) । संस्कृत भारती की ओर से आयोजित 12 दिवसीय क्षेत्रीय प्रशिक्षणवर्ग के चौथे दिन सोमवार को आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के स्वामी शिवानन्द ने संगीत माध्यम से योगाभ्यास कराया और योग के महत्व की विस्तार से चर्चा की।
मौके पर उन्होंने कहा कि लोग आसन और प्राणायम करके यह मान लेते हैं कि योग की अवस्था पूर्ण हो गयी, लेकिन जब तक हम योग के आठ अंगों का क्रमबद्ध पालन नहीं करेंगे न तो योग की अवस्था ही पूर्ण हो सकेगी और न हम लाभ ही स्वीकार कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति के सुखी, समृद्ध और सम्पन्न जीवन की सबसे बड़ी जरूरत प्रसन्नता है। प्रसन्नचित्त व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
संस्कृत भाषा को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास
एकात्मता स्तोत्र डॉ जगदम्बा प्रसाद सिंह, पञ्चाङ्ग की प्रस्तुति चन्दन कुमार और चिन्तन प्रान्त – सहप्रशिक्षण प्रमुख सर्वेश कुमार मिश्र ने कराया।
संस्कृत भारती के प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे कार्यकर्ताओं की ओर से रांची के पांच स्थानों पर मोहक संस्कृत बालगीतों, सुभाषितों और लघु कथाओं के माध्यम से संस्कृत भाषा को जन-जन तक पहुंचाने का सफल प्रयास कर रहे हैं।
प्रशिक्षकों में डॉ दीपचन्द राम कश्यप, डॉ चंद्रमाधव सिंह, पृथ्वीराज सिंह, डॉ विनय पाण्डेय, जगदम्बा प्रसाद, सन्दीप मिश्र, राम अचल यादव, चन्दन,गोपाल और आशीष सहित अन्य उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
