कोरबा/जांजगीर-चांपा 8 मई (Udaipur Kiran) । महिलाओं का कार्यस्थल पर लैगिंक उत्पीडन (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 के क्रियान्वयन हेतु सभी विभागों में धारा 04 (1) के अनुसार आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया जाना अनिवार्य है। ऐसे निजी क्षेत्र का संगठन, उपक्रम, उद्यम संस्थान, प्रतिष्ठान, सोसाईटी, न्यास, गैर-शासकीय संगठन, इकाई अथवा सेवा प्रदाता जो वाणिज्यिक, व्यावसायिक, शैक्षिक, मनोजरंजन, औद्योगिक, स्वास्थ्य सेवाएं अथवा वित्तीय क्रियाकलाप कर रहा हो। कलेक्टर जन्मेजय महोबे द्वारा सभी शासकीय, अर्द्धशासकीय, अशासकीय कार्यालय, संगठन, संस्था, प्रतिष्ठान इत्यादि से जहां 10 से अधिकारी कर्मचारी कार्यरत है, आंतरिक शिकायत समिति गठित करने का निर्देश दिये गये है।
बताया गया है कि समिति में महिला जो कार्यस्थल के कर्मचारियों में से वरिष्ठ स्तर के हो पीठासीन अधिकारी होगी। पीठासीन अधिकारी उस कार्यस्थल/कार्यालय में कार्यरत वरिष्ठ स्तर की महिला अधिकारी/कर्मचारी होगी ।नहीं होने की दशा में अन्य कार्यालयों या प्रशासनिक इकाइयों से मनोनीत किया जावेगा, यदि वहां भी वरिष्ठ स्तर की महिला कर्मचारी नहीं होने की दशा में उसी नियोक्ता के किसी अन्य कार्यस्थल या अन्य विभाग या संगठनों से मनोनीत किया जायेगा। समिति में 02 सदस्य जिन्हें समाज सुधार का अनुभव या विधिक ज्ञान हो तथा 01 सदस्य गैर सरकारी संगठनों, संगमों से जो महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध हो या कोई लैंगिक उत्पीडन से संबंधित विवादों से परिचित हो।
समिति में मनोनीत कुल सदस्यों में से कम से कम आधी सदस्य महिलाऐं होगी। कर्मचारियों में से महिलाओं के लिए प्रतिबध्द अथवा सामाजिक कार्य में अनुभव रहने वाली 02 सदस्य व गैर शासकीय संगठन, संघ से 01 सदस्य होगें। आधे से अधिक महिलाएं सदस्य हो सकती है। समिति का कार्यकाल 03 वर्ष का होगा। समिति गठन पश्चात कार्यालय, संस्थान में उनका नाम भी कार्यालय के बोर्ड, फ्लेक्स में प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा। ऐसे कार्यस्थल/कार्यालय (शासकीय, अर्द्धशासकीय, सार्वजनिक या निजी उपक्रम) में जहां आंतरिक शिकायत समिति का गठन नहीं होने पर 50 हजार रूपये का जुर्माना भी किया जा सकता है। गठन, संस्था, प्रतिष्ठान इत्यादि से जहां 10 से अधिकारी कर्मचारी कार्यरत है, आंतरिक शिकायत समिति गठित करने का निर्देश दिये गये है।
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(Udaipur Kiran) / हरीश तिवारी
