
जबलपुर, 26 अप्रैल (Udaipur Kiran) । भारतीय नारी विमर्श विषय पर विचार मंथन सत्र सरस्वती शिक्षा परिषद कार्यालय नरसिंह मंदिर में शनिवार को प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में आयोजित किया गया। जहां एक ओर भारतीय नारी के विमर्श पर आयोजित इस विचार मंथन में पीपीटी द्वारा कुछ कालखंडों के माध्यम से भारतीय स्त्री शक्ति स्थिति को लेकर प्रस्तुतियां दी गईंं। वहीं, प्रथम सत्र में पिंकेश लता द्वारा प्रस्तावना भूमिका प्रस्तुत करते हुए विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किये गए। इसी तरह विभिन्न कालखण्डों के माध्यम से भारतीय नारी के विमर्श को चित्रांकित किया गया। जिसमें मनीषा चौहान द्वारा वैदिक काल में स्त्री शिक्षा को लेकर विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला । पश्चात अश्वनी परांजपे के द्वारा मुगल काल सहित रजवाड़े में स्त्री विमर्श पर होने वाले विभिन्न पहलुओं को बताया गया। साथ ही वंदना गेलानी ने अपने कालखंड में स्वतंत्रता पश्चात महिलाओं की क्या भूमिका बताई डॉक्टर वाणी अहलूवालिया द्वारा सोशल मीडिया पर चल रही स्त्री विमर्श की खबरों को लेकर प्रकाश डाला।
यहां द्वितीय सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख कैलाशचंद्र जी ने जिज्ञासा एवं प्रश्न-उत्तर कार्यक्रम में लोगों के प्रश्नों का समाधान किया। कैलाशचंद्रजी ने एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि यदि भारत के दर्शन पर कार्य करना हो तो इसके लिए कम से कम 12 वर्ष आवश्यक हैं । उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया, वाचस्पति मिश्र ने आदि शंकराचार्य द्वारा लिखित ब्रह्म सूत्र पर इसी तरह टीका लिखी थी । यह टीका उन्होंने अपनी पत्नी भामती के नाम समर्पित की, इसलिए यह भामती टीका कहलाती है।
उन्होंने बताया कि ब्रह्म के दर्शन में स्त्री-पुरुष एक ही तत्व है। जड़, चेतन, पशु, पक्षी सभी में ब्रह्म समान रूप से विराजमान है। भारतीय दर्शन में स्त्री और पुरुष में कोई भेद नहीं है। ढाई हजार वर्ष के आक्रमण काल में हमारे इतिहास को कलुषित किया गया, जबकि भारतीय संस्कृति और समाज आदिकाल से ही बौद्धिक रूप से समृद्ध है। आधुनिक परिस्थिति में पाश्चात्य सभ्यता को लेकर कैलाश जी कहना रहा, बच्चों के रहन-सहन के तरीके यह बता रहे हैं कि बच्चे पाश्चात्य संस्कृति के इंटेलेक्चुअल संपर्क में ट्रैप हो गए हैं। उन्हें इस बात का पूर्णतः सपोर्ट है । समाज में नारी के सम्मान की बात हो या पश्चिमी सभ्यता को दबाने की बात, दोनों ही स्थिति में भारतीय महिला का प्रतिमान स्थापित करना इसके लिए परम आवश्यक है।
उन्होंने कहा, देश में भारतीय महिलाओं का सम्मान आदि काल से ही रहा है, चाहे वह किसी स्वरूप में हो। उल्लेखनीय है कि इस भारतीय नारी विमर्श विषय के विचार मंथन सत्र में प्रांत के प्रचार प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विनोद दिनेश्वर, सह प्रांत प्रचार प्रमुख शिवनारायण पटेल सहित समाज के विभिन्न वर्गों से जहां बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया। इसके अलावा इस वैचारिक योजन में अनेक सामाजिक संगठनों से आए सामाजिक कार्यकर्ता, पदाधिकारीगण, पत्रकार समेत समाज जीवन से जुड़े विभिन्न आयामों के अनेक सेवाकार्य में संलग्न जन उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन अंकिता देशपांडे ने किया।
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक
