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ईशा फाउंडेशन ने तमिल मीडिया नक्कीरन के कथित अपमानजनक वीडियो को हटाने की मांग की, दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका

Delhi High Court File Photo

नई दिल्ली, 02 दिसंबर (Udaipur Kiran) । सद्गुरू जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उसके खिलाफ तमिल मीडिया नक्कीरन की ओर से पोस्ट किए गए कथित अपमानजनक वीडियो को हटाने की मांग की है। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने गूगल और नक्कीरन को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई अप्रैल 2025 में होगी।

याचिका में ईशा फाउंडेशन ने नक्कीरन और इसके संपादक गोपाल से तीन करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है। ईशा फाउंडेशन की ओर से पेश वकील राजशेखर राव ने याचिका में मांग की है कि नक्कीरन की ओर से डाले गए अपमानजनक वीडियो गूगल अपने प्लेटफार्म से हटाए। सुनवाई के दौरान ईशा फाउंडेशन ने तत्काल वीडियो हटाने की कोई मांग नहीं की। ऐसे में अब इस मामले में पूरी सुनवाई होने के बाद ही फैसला हो सकेगा।

याचिका में कहा गया है कि नक्कीरन ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ संवेदनशील कंटेंट प्रकाशित किया। नक्कीरन की रिपोर्ट में ईशा फाउंडेशन के अंदर कई गड़बड़ियों का उल्लेख किया गया है जिसमें शोषण, ब्रेनवाश और गैरकानूनी गतिविधियां शामिल हैं। नक्कीरन की रिपोर्ट में कहा गया है कि ईशा फाउंडेशन में रह रहे लोग अपनी मर्जी से नहीं रह रहे हैं बल्कि उन्हें डरा-धमकाकर रखा जा रहा है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद नक्कीरन ने उसके खिलाफ ब्रेनवाश करने की खबर प्रकाशित की।

बतादें कि 18 अक्टूबर को तत्कालीन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में चल रही कार्रवाई को रद्द करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट द्वारा इस तरह की याचिका पर जांच के आदेश देना पूरी तरह अनुचित है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पिता की याचिका गलत है क्योंकि दोनों लड़कियां बालिग हैं और वे अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही हैं।

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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा

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