Uttar Pradesh

स्पेशल कंपोनेंट प्लान योजना के तहत जिले की 250 दुकानों की जांच शुरू

जांच में झूठे निकले पीएम आवास योजना का लाभ दिलाने के लिए प्रधान पति पर रुपये मांगने के आरोप

मुरादाबाद, 05 मई (Udaipur Kiran) । अनुसूचित जाति और जनजाति के बेरोजगारों को स्वरोजगार देने के लिए चलाई गई स्पेशल कंपोनेंट प्लान योजना के तहत जिले में इस योजना के तहत बने दुकानों के आवंटन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है। फर्जी आवंटन पत्रों, अवैध कब्जे और अधिकारियों की लापरवाही के कारण अब पूरे जिले की 250 दुकानों की विस्तृत जांच सोमवार को शुरू हो गई। जिला समाज कल्याण अधिकारी शैलेष गौतम ने बताया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी और यदि जांच के दौरान पाया जाता है कि कोई दुकान गलत तरीके से आवंटित हुई है तो उसे निरस्त किया जाएगा।

उप्र सरकार की स्पेशल कंपोनेंट प्लान योजना समाज कल्याण निदेशालय द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित की गई थी, जिसमें पात्र लाभार्थियों को दुकानें बनाकर आवंटित की जानी थीं। इस योजना का उद्देश्य था कि वंचित वर्गों को रोजगार के अवसर मिलें। वास्तविकता में स्थिति इसके उलट दिखाई दी है। तहसील बिलारी क्षेत्र में 34 दुकानों के आवंटन के दौरान फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। मामला वर्ष 2020 में तब चर्चा में आया जब दानवीर सिंह नामक व्यक्ति और उसके कुछ साथियों ने जिला समाज कल्याण कार्यालय में 10 दुकानों के फर्जी आवंटन पत्रों के साथ कब्जा दिलाने की मांग की। अधिकारियों ने इस दावे को गंभीरता से नहीं लिया और फाइलें दबाकर मामले को टालते रहे। इस दौरान समाज कल्याण विभाग में कई अधिकारी आए-गए, लेकिन किसी ने भी गंभीरता से जांच नहीं की। अब जब यह मामला शासन और समाज कल्याण मंत्री तक पहुंचा तो शासन स्तर पर कार्रवाई शुरू हुई है।

जिला समाज कल्याण अधिकारी शैलेंद्र कुमार गौतम ने मामले में दानवीर समेत 15 लोगों के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी। पुलिस मामले की जांच कर रही है। बिलारी प्रकरण में किसी एक का दोष नहीं है। जांच पर जांच का खेल कई साल से चल रहा था। लेकिन कार्रवाई के नाम पर किसी के खिलाफ अभी तक कुछ नहीं हुआ है। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक शिव प्रसाद ने निर्देश दिए हैं कि पूरे जिले में योजना के तहत बनी सभी दुकानों की जांच की जाए। इस जांच में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दुकानों का निर्माण सही स्थान पर हुआ या नहीं, किस लाभार्थी को दुकान आवंटित की गई, वर्तमान में दुकान पर कौन काबिज है, क्या दुकान को किसी और को बेच दिया गया है, जांच रिपोर्ट में आवंटी का नाम, पता, विकास खंड, निर्माण स्थल की जानकारी, जीपीएस लोकेशन और दुकान की ताजा तस्वीरें भी अपलोड करनी होंगी।

(Udaipur Kiran) / निमित कुमार जायसवाल

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