नई दिल्ली, 24 जनवरी (Udaipur Kiran) । महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के छोटे से शहर कलंब से निकली वसुंधरा ने सीमित संसाधनों और साधनों के बावजूद, खेल के प्रति अपने जुनून और दृढ़ संकल्प से लड़कियों की अंडर-15 स्क्वैश श्रेणी में भारत में 8वां स्थान हासिल किया है। कलंब जैसे छोटे से शहर में, जहां स्क्वैश की कोई सुविधा नहीं थी, वसुंधरा ने ऑनलाइन वीडियो और अपने दृढ़ निश्चय से खेल के बारीकियां सीखनी शुरू की। शुरुआती दिनों में कोई कोच, स्क्वैश कोर्ट या मार्गदर्शन न होने के बावजूद, वसुंधरा ने अपने आत्मविश्वास के साथ अभ्यास किया।
वसुंधरा की सफलता ने न केवल उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है, बल्कि उनके गृहनगर कलंब में खेलों के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई है। आज, कलंब से पांच खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि सही समर्थन और संकल्प से कोई भी बाधा पार की जा सकती है।
वसुंधरा ने (Udaipur Kiran) को दिए साक्षात्कार में अपनी अब तक की यात्रा और भविष्य की योजनाओं पर खुलकर चर्चा की। प्रस्तुत है साक्षात्कार के प्रमुख अंश—
प्रश्न: वसुंधरा, आपने स्क्वॉश के प्रति अपना लगाव और इसे शुरू करने की प्रेरणा कैसे पाई?
उत्तर: बचपन से ही मुझे चुनौतीपूर्ण खेल बहुत पसंद थे। मैं साइकिल चलाना, रस्सी पर चढ़ना, कराटे, खो-खो, कबड्डी, रग्बी, बैडमिंटन, बुद्धिबळ (चेस), कैरम, और योगा जैसे कई खेल खेलती थी। लेकिन इन सबमें मुझे स्क्वॉश सबसे ज्यादा पसंद आया। कोविड से पहले हमारे गांव में स्क्वॉश कोर्ट नहीं था, तो मैंने स्कूल में ही खेलना शुरू किया। उस समय मेरे पिताजी ने इस खेल के बारे में विस्तार से समझाया और मुझे प्रेरित किया।
प्रश्न: कोविड के बाद आपने स्क्वॉश में अपना अभ्यास कैसे जारी रखा?
उत्तर: कोविड के बाद हमारे गांव में राजाभाऊ शिंदे जी ने एक साधारण स्क्वॉश कोर्ट जैसा कमरा बनवा दिया। 2021 से मैं वहाँ रोज सुबह-शाम मोबाइल पर वीडियो देखकर प्रैक्टिस करती रही। मौसम चाहे बारिश का हो, ठंड का, या गर्मी का, मैंने अभ्यास करना कभी नहीं छोड़ा।
प्रश्न: आपकी पहली बड़ी उपलब्धि कब और कहाँ हुई?
उत्तर: मेरी पहली बड़ी उपलब्धि 2022 में पुणे के सीएसके क्लब में हुई। मैंने अंडर-11 में दृष्टि के साथ प्रतिस्पर्धा की और सेकंड रनर अप बनी। यह मेरे लिए एक महत्वपूर्ण पल था, जिसने मुझे और मेहनत करने के लिए प्रेरित किया।
प्रश्न: आपके खेल सफर में किन व्यक्तियों ने आपको मार्गदर्शन दिया?
उत्तर: मेरे पिताजी ने शुरुआत में मुझे बहुत प्रेरित किया। उसके बाद, रवींद्र नवले सर से मिलना मेरे जीवन का टर्निंग पॉइंट था। उन्होंने मुझे स्क्वॉश के बारे में गहराई से सिखाया और अभिनव सर और चेतन सर से मिलवाया। जून 2022 में, खार जिमखाना में कांगा स्पोर्ट्स के माध्यम से मुझे विनय शिंदे और रवींद्र नवले सर से प्रशिक्षण मिला। उनकी मेहनत और मार्गदर्शन ने मेरे खेल को निखारा।
प्रश्न: वर्तमान में आपकी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है?
उत्तर: फिलहाल मैं अंडर-15 श्रेणी में ऑल इंडिया सेकंड रैंक पर हूं। यह मेरे लिए गर्व की बात है और यह संभव हुआ अभिनव सर, रवींद्र नवले सर, और कांगा स्पोर्ट्स के समर्थन से।
प्रश्न: आगे के लिए आपकी क्या योजनाएँ हैं?
उत्तर: मेरा सपना है कि मैं हर कैटेगरी में नंबर वन बनूं। मेरी सबसे बड़ी ख्वाहिश है कि मैं एक दिन भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए ओलंपिक में खेलूं।
प्रश्न: स्क्वॉश के प्रति आपके गाँव में जागरूकता कैसी है?
उत्तर: हमारे गाँव में स्क्वॉश के बारे में अभी भी बहुत कम जानकारी है। लेकिन अब धीरे-धीरे चीजें बदल रही हैं। मेरी सफलता ने कई बच्चों को इस खेल की ओर आकर्षित किया है। मैं चाहती हूं कि इस खेल को और बढ़ावा मिले।
प्रश्न: क्या आप अपने अनुभवों से नए खिलाड़ियों को कोई संदेश देना चाहेंगी?
उत्तर: मैं कहना चाहूंगी कि मेहनत और अनुशासन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। कोई भी परिस्थिति आपको रोक नहीं सकती, बस अपने सपनों को साकार करने के लिए पूरी तरह समर्पित रहना चाहिए।
वसुंधरा की कहानी इस बात का उदाहरण है कि सीमित साधनों के बावजूद, यदि आपके पास सपनों को साकार करने का जज्बा और कड़ी मेहनत करने का दृढ़ निश्चय है, तो सफलता संभव है।
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(Udaipur Kiran) दुबे