Haryana

गुरुग्राम विवि व सीएसआईआर-निस्पर के संयुक्त तत्वाधान में हुआ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

फोटो नंबर-05: गुरुग्राम विवि में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हिंदी और पंजाबी भाषाओं में  लिखित भारतीय परंपराओं का खजाना और सार पुस्तक का विमोचन करते अतिथि।

-पारंपरिक ज्ञान के संचार और प्रसार पर व्यापक चर्चा

गुरुग्राम, 13 नवंबर (Udaipur Kiran) । गुरुग्राम विश्वविद्यालय और सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (निस्पर) के संयुक्त तत्वाधान में बुधवार को को विवि के सभागार में पारंपरिक ज्ञान के संचार और प्रसार पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (सीडीटीके-2024) आयोजित किया गया। इस दौरान हिंदी और पंजाबी भाषाओं में लिखित भारतीय परंपराओं का खजाना और सार पुस्तक का विमोचन भी किया गया।

सम्मेलन की शुरुआत अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन करके की गयी गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दिनेश कुमार ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने सम्मेलन के दौरान भारतीय सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक दुनिया की आवश्यकताओं के अनुसार उनके अनुकूलन पर केंद्रित चर्चाओं और विचार-विमर्श के बारे में अपनी उत्सुकता व्यक्त की। अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (सीडीटीके-2024) के उद्घाटन सत्र में सार पुस्तक और हिंदी और पंजाबी भाषाओं में लिखित भारतीय परंपराओं का खजाना पुस्तक का विमोचन भी हुआ।

विशिष्ट अतिथि सीएसआईआर-निस्पर नई दिल्ली की निदेशक प्रो. रंजना अग्रवाल ने स्वस्तिक (वैज्ञानिक रूप से मान्य पारंपरिक ज्ञान) के बारे में बताया। वैज्ञानिक रूप से मान्य भारतीय पारंपरिक ज्ञान को बढ़ावा देने में इसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वस्तिक एक राष्ट्रीय पहल है, जिसका समन्वय सीएसआईआर-निस्पर द्वारा किया जाता है। इस पहल की शुरुआत भारत के वैज्ञानिक रूप से मान्य पारंपरिक ज्ञान को समाज तक पहुंचाने के लिए की गई थी। दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय, नई दिल्ली (भारत) के अध्यक्ष प्रोफेसर के. के. अग्रवाल ने मुख्य अतिथि के रूप में उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य अपनी विरासत को नकारने के बजाय इस ज्ञान को दुनिया के साथ साझा करना होना चाहिए। मुख्य व्याख्यान डॉ. शेखर सी. मांडे, विशिष्ट प्रोफेसर, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय और पूर्व महानिदेशक सीएसआईआर द्वारा दिया गया। डॉ. मांडे ने पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोणों के साथ जोडऩे की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर-निस्पर ने पारंपरिक ज्ञान को सशक्त बनाया और वैश्विक आवाज दी है। सीएसआईआर-निस्पर की प्रधान वैज्ञानिक और सीडीटीके-2024 की समन्वयक डॉ. चारु लता ने गणमान्य व्यक्तियों, सभी योगदानकर्ता, प्रदर्शकों और प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया।

(Udaipur Kiran) हरियाणा

Most Popular

To Top