उदयपुर, 4 दिसंबर (Udaipur Kiran) । उदयपुर जिले की मावली तहसील के तीन गांव बासनी माफी, बासनी कला और बासनी खुर्द एक अनोखी कहावत से जुड़े हुए हैं, जो करीब सौ साल पुरानी बताई जाती है। इन गांवों की दूरी महज पांच किलोमीटर के भीतर है, लेकिन एक दूल्हे की कहानी ने इन्हें हमेशा के लिए लोककथाओं का हिस्सा बना दिया।
ग्रामीणों के अनुसार यह घटना पुराने जमाने की है, जब आवागमन के साधन सीमित थे और गांवों की पहचान इतनी स्पष्ट नहीं होती थी। एक बार शादी के लिए आए दूल्हे को तीनों गांवों के एक जैसे नामों के कारण सही गांव ढूंढ़ने में परेशानी हुई। सुबह से शाम तक दूल्हा इधर-उधर भटकता रहा और इसी चक्कर में शादी के तय समय (लग्न) को चूक गया। नतीजतन दूल्हा कुंवारा रह गया।
इस दिलचस्प घटना ने तीनों गांवों को एक कहावत से जोड़ दिया, तीन बासनी रा बींद कुंवारा। यह कहावत आज भी यहां के बुजुर्गों के बीच प्रचलित है और इसे गांव के इतिहास और पहचान का हिस्सा माना जाता है। तीनों गांवों का यह किस्सा न केवल पुरानी परंपराओं और परिवेश को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि किस तरह छोटी-छोटी घटनाएं गांवों की सांस्कृतिक धरोहर बन जाती हैं। तीनों बासनी आज भी इस कहावत के कारण अलग पहचान रखते हैं। हालांकि, अब आधुनिक दुनिया में इन गांवों की पहचान करना मुश्किल नहीं है।
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(Udaipur Kiran) / सुनीता