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डर्माकॉन नेशनल कॉन्फ्रेंस सम्पन्न, चर्म रोग में आधुनिक तकनीक सीएआरटी पर हुई गहन चर्चा

डर्माकॉन नेशनल कॉन्फ्रेंस का हुवा समापन चर्म रोग में आधुनिक तकनीक सीएआरटी पर हुई गहन चर्चा

जयपुर, 9 फरवरी (Udaipur Kiran) । इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट्स, वेनेरियोलॉजिस्ट्स और लेप्रोलॉजिस्ट्स के 53वें राष्ट्रीय सम्मेलन डर्माकॉन 2025 का सफल आयोजन जयपुर में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में 600 से अधिक भारतीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ 5000 से अधिक डेलीगेट्स ने भाग लिया।

चौथे दिन के सत्र में बच्चों में एलर्जी और एटोपिक डर्माटाइटिस पर चर्चा हुई, जिसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली की विशेषज्ञ डॉ. नीना खन्ना ने बताया कि नई दवा सीक्लोजिबमैब से मरीजों को राहत मिली है और अब इस बीमारी का उपचार अधिक प्रभावी हो गया है। अन्य सत्रों में त्वचा देखभाल पर चर्चा करते हुए विशेषज्ञों ने सही लोशन के उपयोग से इस चर्म रोग को नियंत्रित करने के सुझाव दिए।

आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. यू. एस. अग्रवाल ने बताया कि चार दिवसीय सम्मेलन में 80 वैज्ञानिक सत्रों के माध्यम से चर्म रोगों पर गहन चर्चा की गई। इसमें 1200 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, जिनमें नई तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक हेयर ट्रांसप्लांट, एआरटी थेरेपी, एटोपिक डर्माटाइटिस, हाइपर पिग्मेंटेशन, लाइट और लेजर उपचार, हेयर डाई, सौंदर्य प्रसाधन और त्वचा देखभाल जैसे विषय शामिल थे।

आयोजन सचिव डॉ. दीपक के. माथुर, कोषाध्यक्ष डॉ. विजय पालीवाल और वैज्ञानिक समिति के अध्यक्ष डॉ. असित मित्तल को सफल आयोजन के लिए सम्मानित किया गया। डर्माकॉन 2026 का आयोजन जनवरी के अंतिम सप्ताह में बैंगलोर में होगा, जिसकी जिम्मेदारी डॉ. रघुनाथ रेड्डी को सौंपी गई है।

समापन समारोह में दो श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किए गए। आईएडीवीएल पीजी थीसिस पुरस्कार में प्रथम पुरस्कार डॉ. सेजल जैन, दूसरा पुरस्कार डॉ. जननी पी और तीसरा पुरस्कार डॉ. अदिति शेटे को मिला। स्नातकोत्तर थीसिस अनुभाग में सर्वश्रेष्ठ पेपर पुरस्कार के तहत डॉ. बी. बी. गोखले पदक डॉ. अंशुमान दाश को, डॉ. सी. एस. भवानी कुमार स्मारक पुरस्कार डॉ. शिवानी शर्मा को और एमजीएम मेडिकल कॉलेज पुरस्कार डॉ. शारंग गुप्ता को प्रदान किया गया।

मेक्सिको से आए विशेषज्ञ डॉ. जॉर्ज ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक अब चर्म रोगों के निदान में अत्यधिक उपयोगी हो गई है। एआई के माध्यम से त्वचा रोगों की पहचान और उपचार पहले से अधिक आसान और प्रभावी हो गया है। डर्माकॉन 2025 के समापन के साथ ही त्वचा विज्ञान में हो रही नई प्रगति और उन्नत तकनीकों को अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया गया।

(Udaipur Kiran)

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