जोधपुर, 23 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । स्थाई लोक अदालत जोधपुर महानगर ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में प्रतिपादित किया है कि महिलाओं में अनियमित माहवारी या अत्यधिक रक्त स्त्राव को मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी करवाते वक्त प्रस्तावना प्रपत्र में छिपाने के आधार पर बीमा कंपनी दावा खारिज नहीं कर सकती है। अदालत के अध्यक्ष सुकेश कुमार जैन और सदस्य जेठमल पुरोहित तथा माणकलाल चांडक ने स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी को दावा राशि 1 लाख 75 हजार 8 रुपए दो माह में अदा करने के आदेश दिए अन्यथा 8 फीसदी ब्याज अदा करना होगा।
जोधपुर की रहने वाली एक महिला ने अधिवक्ता अनिल भंडारी के माध्यम से परिवाद दायर कर कहा कि अनियमित माहवारी तथा अत्यधिक रक्त स्त्राव को देखते हुए अहमदाबाद के इवा वूमेन हॉस्पिटल में सर्जरी कर उनका यूटरस निकाला गया। बीमा कंपनी ने उनका दावा यह कहकर खारिज कर दिया कि प्रार्थी को चार साल से अनियमित माहवारी और अधिक रक्त स्त्राव होने के बावजूद बीमा करवाते वक्त प्रस्तावना प्रपत्र में इसे छुपाया था। अधिवक्ता भंडारी ने बहस करते हुए कहा कि अनियमित माहवारी या अत्यधिक रक्त स्त्राव या गर्भावस्था आदि कोई बीमारी नहीं है और इस बाबत प्रस्तावना प्रपत्र में किसी प्रकार की जानकारी मांगा जाना महिलाओं के प्रति अपमानजनक और शर्मनाक स्थिति है और इनका जिक्र नहीं करने के आधार पर दावा कदापि खारिज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बीमा प्रस्तावना प्रपत्र में ऐसी प्रश्नावली ही नहीं होनी चाहिए। बीमा कंपनी ने कहा कि उन्होंने दावा खारिज करने में कोई गलती नहीं की है।
स्थाई लोक अदालत ने परिवाद मंजूर करते हुए कहा कि प्रार्थी के अनियमित माहवारी और अधिक रक्त स्त्राव की वजह से ही सर्जरी कर यूटरस को निकाला गया लेकिन महिलाओं में ऐसा होना एक सामान्य स्थिति ही है और प्रस्तावना प्रपत्र में इसे प्रकट नहीं करने के आधार पर दावा खारिज किया जाना उचित नहीं है इसलिए बीमा कंपनी इलाज पर हुए सम्पूर्ण व्यय के भुगतान के वास्ते उत्तरदायी है और दो माह में दावा राशि 1 लाख 75 हजार 8 रुपए अदा करें अन्यथा 8 फीसदी ब्याज अदा करना होगा।
(Udaipur Kiran) / सतीश