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सुसवा नदी में खनन मामले में सरकार का प्लान कोर्ट में पेश करने का निर्देश

नैनीताल हाईकोर्ट।

नैनीताल, 25 मार्च (Udaipur Kiran) । हाई कोर्ट में देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में बहने वाली सुसवा व अन्य नदी में भारी मशीनों से खनन की अनुमति दिए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अगली सुनवाई 3 अप्रैल की तिथि नियत की है। तब तक कोर्ट ने संबं​धित अधिकारियों से इस सम्बंध में सरकार का प्लान कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं।

सुनवाई के दौरान खनन अधिकारियों ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि जो भी खनन हो रहा है वह रिवर ड्रेजिंग पॉलिसी में निर्धारित शर्तों के मुताबिक हो रहा है। राज्य सरकार समय-समय पर इसकी मॉनिटरिंग कर रही है जिससे रिवर बेड को कोई नुकसान न हो। सुनवाई के दौरान सचिव खनन सहित अन्य अधिकारी वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए।

मामले के अनुसार देहरादून निवासी वीरेंद्र कुमार व अन्य ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में बहने वाली सुसवा व अन्य नदी में खनन कार्य करने के लिए भारी भरकम मशीनों की अनुमति दे दी है। भारी मशीनों द्वारा खनन करने पर नदी का जल स्तर नीचे गिर रहा है और उनकी कृषि योग्य भूमि भी प्रभावि हो रही है। उनको सिंचाई के लिए पानी तक नहीं मिल पा रहा है। यही नहीं भारी मशीनों द्वारा खनन कार्य करने के कारण स्थानीय लोग बेरोजगार हो गए हैं। पहले उनको नदी में खनन करने से रोजगार मिल जाता था, लेकिन जब से सरकार ने भारी मशीनों को खनन की अनुमति दी है तब से स्थानीय लोग बेरोजगार हो गए हैं। जनहित याचिका में उन्होंने कोर्ट से प्रार्थना की है कि भारी मशीनों से खनन कार्य करने पर रोक लगाई जाए, उनकी कृषि योग्य भूमि को बचाया जाए और खनन कार्य में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए न कि मशीनों को।

सुनवाई पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि बरसात के दौरान नदी में भारी मात्रा में शिल्ट, गाद, बड़े बोल्डर व अन्य आ जाते हैं जिसकी वजह से नदी का रास्ता अवरूद्ध होकर अन्य जगह बहने लगता है। इसको हटाने के लिए मैन पावर की जगह मशीनों की जरूरत पड़ती है इसलिए सरकार ने जनहित को देखते हुए मशीनों का उपयोग करने की अनुमति दी ताकि नदी अपनी अविरल धारा में बहे। लेकिन इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि इसका मुख्य कारण नदियों पर हुए अवैध खनन है।

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(Udaipur Kiran) / लता

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