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उद्योगपति को निरुद्ध करने का आदेश रद्द कर रिहा करने के निर्देश

कोर्ट

जयपुर, 1 मई (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर के एक उद्योगपति को विदेशी मुद्रा के संरक्षण एवं तस्करी रोकथाम अधिनियम के तहत एक साल के लिए निरुद्ध करने के आदेश को रद्द करते हुए उसे तुरंत रिहा करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस महेन्द्र गोयल और जस्टिस आशुतोष कुमार ने यह आदेश पीयूष नवलखा की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्वीकार करते हुए दिए।

याचिका में अधिवक्ता हर्षवर्धन नंदवाना ने अदालत को बताया कि यूको बैंक, जौहरी बाजार ने कस्टम विभाग को शिकायत देकर विदेश में लेनदेन की जानकारी दी थी। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए याचिकाकर्ता का लुक आउट सर्कुलर जारी किया। वहीं 22 जुलाई, 2024 को दुबई जाते समय याचिकाकर्ता को गिरफ्तार कर लिया गया। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट में जमानत याचिका पेश की गई। जिस पर अदालत ने 8 अक्टूबर, 2024 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट से जमानत मिलने की आशंका के आधार पर केन्द्र सरकार ने उसी दिन आदेश जारी कर विदेशी मुद्रा के संरक्षण एवं तस्करी रोकथाम अधिनियम के तहत एक साल के लिए निरुद्ध जयपुर जेल में निरुद्ध कर दिया। याचिका में कहा गया कि प्रकरण में याचिकाकर्ता की ओर से पेश अभ्यावेदन को देरी से तय किया गया है। वहीं प्रकरण में कुल 11 आरोपी हैं, लेकिन याचिकाकर्ता को निशाना बताते हुए विदेशी मुद्रा के संरक्षण एवं तस्करी रोकथाम अधिनियम के तहत सिर्फ उस पर ही कार्रवाई की गई है। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को निरुद्ध करने के आदेश को रद्द करते हुए उसे तत्काल रिहा करने को कहा है।

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(Udaipur Kiran)

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