-हाईकोर्ट ने संयुक्त सचिव गृह, डीजीपी एवं डीजी फायर सर्विस से मांगा जवाब
प्रयागराज, 10 सितम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद, मेरठ, आगरा, वाराणसी, गोरखपुर, बरेली, कानपुर नगर एवं प्रयागराज में तैनात दरोगा एवं फायर स्टेशन द्वितीय ऑफिसर, धर्मेन्द्र यादव व सैकड़ों अन्य दरोगाओं की याचिका पर पुलिस विभाग एवं अग्निशमन विभाग के आला अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए उनसे जवाब तलब किया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने पुलिस विभाग एवं अग्निशमन विभाग में कार्यरत सैकड़ों दरोगाओं-फायर स्टेशन द्वितीय ऑफिसर की याचिकाओं में पारित किया है। इन दरोगाओं की याचिका में मांग है कि उन्हें ट्रेनिंग पीरियड जून-जुलाई 2019 से सेवा में निरन्तर मानते हुए तभी से उन्हें वेतन वृद्धि एवं अन्य लाभ दिया जाय।
याचिकाकर्ताओं धर्मेन्द्र यादव 117 अन्य की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं अधिवक्ता अतिप्रिया गौतम ने पक्ष रखा। कोर्ट ने संयुक्त सचिव गृह, डीजीपी उत्तर प्रदेश लखनऊ व डीजी फायर सर्विस, लखनऊ को उक्त आदेश मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा रजिस्ट्रार अनुपालन इलाहाबाद हाईकोर्ट को 48 घण्टे के अन्दर सूचित करने के लिये आदेशित किया है। कोर्ट ने विपक्षी अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए याचिका की सुनवाई के लिए 16 सितम्बर तय किया है।
याचिका के अनुसार 17 जून 2016 को 2707 उपनिरीक्षक नागरिक पुलिस, प्लाटून कमाण्डर पीएसी एवं अग्निशमन अधिकारी द्वितीय के पदों पर सीधी भर्ती के लिए वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड द्वारा विज्ञप्ति निकाली गयी थी। सभी याचीगणों ने आवेदन किया था। सभी ने लिखित परीक्षा, अभिलेखों की संवीक्षा एवं शारीरिक मानक परीक्षा तथा शारीरिक दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात अन्तिम चयन सूची में 28 फरवरी 2019 चयनित हुए।
उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड, लखनऊ द्वारा कुल चयनित 2181 दरोगा, प्लाटून कमाण्डर एवं अग्निशमन द्वितीय अधिकारी की सूची जारी की जिसमें सभी याची भी चयनित थे। तत्पश्चात सभी चयनित दरोगाओं, प्लाटून कमाण्डर एवं अग्निशमन द्वितीय अधिकारियों का मेडिकल कराने के पश्चात जून-जुलाई, 2019 में ट्रेनिंग में भेज दिया गया।
असफल अभ्यर्थियों ने चयन सूची 28 फरवरी 2019 के विरुद्ध इलाहाबाद हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं ग्रुप वाइज दाखिल करके इसे चुनौती दी। हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं को एक साथ सुना और 11 सितम्बर 2019 को असफल अभ्यर्थियों की याचिकाएं स्वीकार करते हुए चयन-सूची 28 फरवरी 2019 रद्द कर दी तथा उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड को नये सिरे से चयन सूची बनाने के निर्देश जारी किये। कोर्ट ने यह भी आदेशित किया कि 6 सप्ताह के अन्दर हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करें तथा नये सिरे से चयनित अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग पर भेजें।
हाईकोर्ट के इस आदेश 11 सितम्बर 2019 के पश्चात सभी चयनित दरोगाओं, प्लाटून कमाण्डरों तथा फायर स्टेशन के द्वितीय ऑफिसरों को जून-जुलाई वर्ष 2020 में ट्रेनिंग सेन्टर से बगैर ट्रेनिंग कराये उनके घर वापस कर दिया गया। हाईकोर्ट के आदेश 11 सितम्बर 2019 के विरुद्ध उप्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दाखिल की। जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने 07 जनवरी 2022 को उप्र सरकार की एसएलपी स्वीकार कर ली एवं इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश 11 सितम्बर 2019 को निरस्त कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश जारी किया कि जो बोर्ड द्वारा 28 फरवरी 2019 को चयन सूची जारी की गयी है, उसे तुरन्त प्रभावी किया जाय।
यह कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश 07 जनवरी 2022 के अनुपालन में सभी याचीगणों को दोबारा ट्रेनिंग पर वापस बुला लिया गया एवं सभी याचियों की ट्रेनिंग पूर्ण कराकर उन्हें पोस्टिंग प्रदान कर दी गयी। याचीगणों ने संयुक्त रूप से याचिका दाखिल करते हुए जून-जुलाई वर्ष 2019 से उनकी सेवाओं को निरन्तर मानते हुए वरिष्ठता देने के सम्बन्ध में तथा बीच की अवधि के वेतन व भत्ते दिये जाने के लिये मांग की है। याचीगणों ने यह भी मांग की है कि प्रशिक्षण की अवधि जून-जुलाई वर्ष 2019 से जोड़ते हुए सेवा में निरन्तर माना जाय तथा तभी से वेतन वृद्धि व अन्य लाभ प्रदान किये जाय।
वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि उत्तर प्रदेश सब इंस्पेक्टर व इंस्पेक्टर (सिविल पुलिस) सेवा नियमावली-2015 के नियम 22(2) में यह स्पष्ट प्रावधान है कि चयन तिथि वह मानी जायेगी, जिस दिन चयन लिस्ट जारी की गयी हो। क्योंकि इस चयन प्रक्रिया की चयनित लिस्ट 28 फरवरी 2019 को भर्ती बोर्ड द्वारा जारी की गयी है। इसलिये सभी याचीगण इसी तिथि से सेवा के सभी लाभ पाने के हकदार हैं।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे