Uttar Pradesh

प्रदेश की प्रशासनिक क्षमता, सांस्कृतिक समृद्धि एवं पर्यटन क्षेत्र की सुविधाओं को प्रदर्शित करने की पहल

महाकुम्भ

-अखाड़ों, साधु, संतों व सामाजिक संस्थाओं से निरंतर किया जा रहा विमर्श

-स्टेकहोल्डर्स के साथ की जा रही लगातार बैठकें, सुझावों पर किया जा रहा विचार

प्रयागराज, 29 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । महाकुम्भ एक धार्मिक आयोजन मात्र नही है, बल्कि हमारे देश की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं वैचारिक विविधताओं के संवाद का माध्यम भी है। कुम्भ की इसी महत्ता के दृष्टिगत यूनेस्को द्वारा इसे ’मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ के रूप में मान्यता प्रदान की गई है। सहभागिता और संवाद की उसी प्राचीन परम्परा को प्रदेश की योगी सरकार नए सिरे से संयोजित करने का प्रयास कर रही है।

इसी का नतीजा है कि इस बार योगी सरकार समावेशी महाकुम्भ पर फोकस कर रही है, जहां सभी स्टेकहोल्डर्स से विमर्श कर सुविधाओं के साथ ही सभी तरह की समस्याओं का समाधान निकालने का प्रयत्न किया जा रहा है।

-संवाद और समावेशी महाकुम्भ के पथ पर संगमनगरी

महाकुम्भ के आयोजन को और अधिक प्रभावी बनाने और उसमें सहभागिता बढ़ाने के लिए योगी सरकार कई अभिनव प्रयास कर रही है। कुम्भ कॉन्क्लेव का आयोजन, पर्यटन विभाग की तरफ से महाकुम्भ टूरिस्ट कॉन्क्लेव का आयोजन और उसी का विस्तार करते हुए अब अखाड़ों, साधु-संतों और तीर्थ पुरोहितों से निरंतर संवाद कायम रखते हुए इसे समावेशी बनाने का प्रयास चल रहा है।

मुख्यमंत्री ने 6 अक्टूबर को प्रयागराज आगमन पर परेड ग्राउंड के गंगा पंडाल में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के सदस्यों, खाकचौक व्यवस्था समिति के संतों, आचार्य बाड़ा और दंडी बाड़ा के सदस्यों व प्रयागवाल सभा के सदस्यों के साथ महाकुम्भ के आयोजन से जुड़े विषयों पर संवाद का जो सिलसिला शुरू किया, उसे कुम्भ मेला प्रशासन निरंतर आगे बढ़ा रहा है।

-आपसी समन्वय से महाकुम्भ को सफल बनाने पर फोकस

अपर कुम्भ मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी बताते हैं कि महाकुम्भ के आयोजन में सुव्यवस्था और अन्य विषयों को लेकर मेला प्रशासन की तरफ से सभी अखाड़ों के साधु-संतों, खाक चौक व्यवस्था समिति के महात्माओं, आचार्य बाड़ा, दंडी बाड़ा, तीर्थ पुरोहितों और संस्थाओं से निरंतर संवाद बनाया जा रहा है। सभी के विचारों की सहभागिता को सुनिश्चित स्थान दिया जा सके। वहींं, एसएसपी कुम्भ राजेश द्विवेदी का कहना है कि कुम्भ और महाकुम्भ में अखाड़ों की हमेशा से ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस परम्परा को जारी रखने के लिए सभी अखाड़ों से आपसी समन्वय बनाया जा रहा है। यह संवाद उसी कड़ी का हिस्सा है। उनके सुझावों और समस्याओं पर विचार किया जा रहा है, ताकि इस महा आयोजन से पूर्व उनका समाधान कर आयोजन को सफल बनाया जा सके।

-सभी स्टेक होल्डर्स की सहभागिता हो रही सुनिश्चित

देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं व पर्यटकों की अपेक्षाएं महाकुम्भ से जुड़ी हैं। योगी सरकार इसके लिए प्रशासनिक कुशलता, नियोजन और उनके कार्यान्वयन में सभी अपेक्षित सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं और संगठनों की भागीदारी भी सुनिश्चित करना चाहती है। इस आयोजन में अभी तक सरकारी एजेंसियों के विचार ही समाहित होते थे, लेकिन अब सरकार इससे एक कदम आगे जाना चाहती है। सरकार के इस प्रयास से चिंतन-मनन की कुम्भ की उस प्राचीन संवाद परम्परा को पुनर्जीवन मिल रहा है जो धीरे-धीरे हाशिये में आ गई थी।

-सहभागिता से मिल रहा है महाकुंभ को नव्य स्वरूप

श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव महंत जमुनापुरी बताते हैं कि कुम्भ क्षेत्र में अखाड़ों के व्यवस्थित आयोजन के लिए कुम्भ मेला प्रशासन की तरफ से निरंतर अधिकारी उनसे सम्पर्क कर रहे हैं। अधिकारी खुद अखाड़ों में पहुंचकर व्यवस्था को सर्वोत्तम स्वरूप देने के लिए अखाड़ों की राय ले रहे हैं। संवाद की यह परम्परा इस आयोजन को नव्य स्वरूप देने में अवश्य मदद कर रही है। श्री पंच दशनाम अखाड़े के अध्यक्ष महंत प्रेम गिरी का कहना है कि अखाड़ों की परम्पराओं के अनुपालन के क्रम में नगर प्रवेश, कुंभ क्षेत्र में अखाड़ों की प्रवेश की शोभा यात्रा से लेकर साधु-संतों की सभी व्यवस्थाओं पर निरंतर कुंभ मेला प्रशासन के अधिकारी उनसे सम्पर्क कर रहे हैं। संतों की राय ली जा रही है ताकि सभी के सुझावों को उचित स्थान दिया जा सके।

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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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