West Bengal

दार्जिलिंग के चिड़ियाघर में पहली बार पहाड़ी वन्यजीवों के डीएनए नमूनों के संरक्षण की पहल

दार्जिलिंग स्थित पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क
दार्जिलिंग स्थित पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क

कोलकाता, 24 मार्च (Udaipur Kiran) । दार्जिलिंग स्थित पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क भारत का पहला ऐसा चिड़ियाघर बन गया है, जहां बर्फीले क्षेत्रों में पाए जाने वाले वन्यजीवों के डीएनए नमूनों को संरक्षित किया जा रहा है। मुख्य वन्यजीव संरक्षक देबल रॉय ने सोमवार को बताया कि अब तक 60 स्थानीय प्रजातियों के डीएनए नमूने एकत्र किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि लाल पांडा, हिम तेंदुआ और अन्य स्थानीय जीव, जो सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए या चिड़ियाघर में प्राकृतिक कारणों से मृत पाए गए, उनके ऊतक (टिशू) से डीएनए संरक्षित किया जा रहा है।

यह क्रायोजेनिक संरक्षण परियोजना हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलेक्युलर बायोलॉजी के सहयोग से संचालित की जा रही है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि ये दुर्लभ प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर पहुंच जाएं, तो संरक्षित अनुवांशिक सामग्री (जेनेटिक मटेरियल) भविष्य में अनुसंधान और संरक्षण प्रयासों में मददगार साबित हो सके।

एक वरिष्ठ चिड़ियाघर अधिकारी ने बताया कि चिड़ियाघर में हिमालयी क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता पर शोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चिड़ियाघर के भीतर एक समर्पित प्रयोगशाला स्थापित की गई है, जहां डीएनए नमूनों को तरल नाइट्रोजन से भरे स्टील कंटेनरों में जमा किया जा रहा है।

67.8 एकड़ में फैले इस चिड़ियाघर की ऊंचाई दो हजार 150 मीटर (7,050 फीट) है, जो इसे भारत का सबसे ऊंचाई पर स्थित जूलॉजिकल पार्क बनाता है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

Most Popular

To Top