
— स्टेशन का भवन, प्लेटफार्म, टिकट काउंटर, पानी बिजली की नहीं कोई सुविधा
हमीरपुर, 28 फरवरी (Udaipur Kiran) । कानपुर-बांदा रेल मार्ग पर स्थित इंगोहटा रेलवे स्टेशन घोर उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। इसे बदनसीब रेलवे स्टेशन कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस स्टेशन पर न तो प्लेटफार्म है, न स्टेशन का भवन बना है और न ही रोशनी और पानी की समुचित व्यवस्था। यहां तक कि टिकट काउंटर तक नहीं है। जिससे यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पानी के लिए केवल यहां केवल एक हैंडपंप लगा हुआ है, जो यात्रियों की जरूरतों के लिए अपर्याप्त साबित हो रहा है।
क्षेत्रीय लोगों के अनुसार करीब चार दशक पहले इस स्टेशन पर एक मर्डर की घटना होने के बाद रेलवे विभाग ने इसे ठेके पर देना शुरू कर दिया था। तब से लेकर अब तक सुविधाओं के नाम पर इसकी स्थिति दिनोदिन खराब होती चली गई। पहले यहां स्टेशन मास्टर, कर्मचारी और उनके आवास हुआ करते थे। लेकिन अब स्टेशन पर कोई बुनियादी सुविधा तक नहीं बची है। स्टेशन के पुराने जर्जर भवन को रेलवे के दोहरीकरण कार्य के दौरान गिरा दिया गया था। लेकिन नया भवन अब तक नहीं बनाया गया। इससे यात्री बारिश, सर्दी और गर्मी में खुले आसमान के नीचे ट्रेन का इंतजार करने को मजबूर हैं। शाम ढलते ही पूरा स्टेशन अंधेरे में डूब जाता है, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी होती है।
बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए ट्रेन में चढ़ना और उतरना और भी मुश्किल हो जाता है। स्टेशन के ठेकेदार को प्रतिदिन 10 किलोमीटर दूर रागौल से टिकट लाकर यात्रियों को उपलब्ध कराना पड़ता है। दिलचस्प बात यह है कि इस स्टेशन से लगभग 20 गांवों के ढाई सौ से अधिक लोग प्रतिदिन सफर करते हैं। जिनमें इंगोहटा, बिदोखर, बंडा, मवईजार, कल्ला, धनपुरा, खडेहीजार, अतरार, छानी, बजेहटा आदि गांव शामिल हैं। लेकिन इन यात्रियों के लिए सिर्फ सुबह और शाम को ही ट्रेन पकड़ने की सुविधा उपलब्ध है।
वर्तमान समय में देश भर के रेलवे स्टेशनों का तेजी से विकास हो रहा है, लेकिन इंगोहटा स्टेशन की स्थिति जस की तस बनी हुई है। न तो रेलवे विभाग और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधि इस समस्या को लेकर गम्भीर हैं। क्षेत्रीय जनता और यात्रियों ने रेलवे विभाग के उच्चाधिकारियों से मांग की है कि स्टेशन पर जल्द से जल्द यात्री सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, ताकि लोगों को इस परेशानी से निजात मिल सके।
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(Udaipur Kiran) / पंकज मिश्रा
