नई दिल्ली, 30 जुलाई (Udaipur Kiran) । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए किसान, बेरोजगारी और महंगाई सहित अन्य मुद्दों पर विपक्ष के प्रश्नों का जवाब दिया। उन्होंने अपने भाषण में यूपीए सरकार के कार्यकाल और वर्तमान सरकार की तुलना की। उन्हाेंने आंकड़ों से बताया कि उनकी सरकार के कार्यकाल में बेरोजगारी और महंगाई की स्थिति बेहतर है।
वित्त मंत्री सीतारमण ने हलवा सेरेमनी पर राहुल गांधी के कटाक्ष का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि हलवा सेरेमनी के साथ भावनायें जुड़ी हैं। ऐसे भी अवसर आए हैं, जब घर में दुखद घटना होने के बावजूद भी अफसरों ने बजट बनाने की प्रक्रिया में भाग लिया और पूरी प्रक्रिया होने तक बाहर नहीं आए।
उन्होंने बताया कि हलवा सेरेमनी 2013-14 में शुरू हुई थी। उस समय कांग्रेस नेता (राहुल गांधी) इतने ताकतवतर थे कि कैबिनेट का नोट तक फाड़ देते थे। तब उन्होंने अपने वित्त मंत्री से क्यों नहीं पूछा कि हलवा सेरेमनी में आप जा रहे हैं, कितने अफसर एससी-एसटी से आते हैं। असल में यह बांटने का षड़यंत्र है।
एससी-एसटी के मुद्दे पर राजनीति किए जाने पर निर्मला सीतारमण ने कर्नाटक सरकार का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि वहां वहां एससी-एसटी के फंड में कटौती की गई है। कांग्रेस नेताओं को वहां की सरकार से सवाल पूछना चाहिए।
वित्त मंत्री ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स को झूठा बताया और कहा कि इसमें भारत को पाकिस्तान से भी पीछे रखा गया है। पाकिस्तान काे जहां आटा खरीदने तक की दिक्कत है वहीं भारत जहां करोड़ों लोगों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। उन्होंने देश में लोगों की घटती बचत से जुड़ी रिपोर्ट पर कहा कि असल में देश के लोग संपत्ति और बाजार में अधिक निवेश कर रहे हैं।
पारदर्शिता के मुद्दे पर भी सीतारमण ने पिछली कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों के कामकाज पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटे को कम दिखाने के लिए अन्य माध्यमों से अतिरिक्त ऋण लिया जाता रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में राजकोषीय संतुलन बनाए रखा गया और सब कुछ साफ बताया गया है।
वित्त मंत्री ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिए जाने के मुद्दे पर पिछली कांग्रेस सरकार को घेरा और कहा कि उस समय की पार्टी की सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को अस्वीकार कर दिया था। उनका कहना था कि एमएसपी से खाद्यान्न की कीमतें बढ़ जायेंगी। आज कांग्रेस 10 सालों बाद घड़ियाली आंसू बहा रही है। सीतारमण ने कहा कि उनकी सरकार में बुनियादी ढांचे सहित ग्रामीण विकास के लिए आवंटन 2013-14 में 0.87 लाख करोड़ रुपये था और इस वर्ष यह 2.66 लाख करोड़ रुपये है।
विभाग के लिए बजट आवंटन पर वित्त मंत्री ने कहा कि 2013-2014 में कृषि एवं किसान कल्याण का बजट केवल 21,934 करोड़ रुपये था। हालांकि, 2024-2025 में यह बढ़कर 1.23 लाख करोड़ रुपये हो गया है। पांच गुना बढ़ोत्तरी हुई है। 11 करोड़ से अधिक किसानों को 3.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया गया है।
बेरोजगारी के मुद्दे पर सीतारमण ने कहा कि उनकी सरकार में अर्थव्यवस्था में कार्यबल में वृद्धि हुई है और महिलाओं का योगदान बढ़ा है। असल में यूपीए सरकारों में आर्थिक विकास बैगर रोजगार था। अटल सरकार के दौरान 3 प्रतिशत महंगाई दर कांग्रेस के कार्यकाल में बढ़कर 8 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार में यह घटकर चार प्रतिशत और कम पर आ गई है।
उन्होंने कहा कि पिछले दशक में रोजगार के अवसरों में बढ़ोत्तरी हुई है। 2014 में 34 प्रतिशत से बढ़कर ये 2025 में 51 प्रतिशत हो गया है। युवाओं में कौशल विकास के कारण ऐसा हो सका है। इस बार केन्द्रीय बजट में कौशल विकास की 5 योजनाओं के पैकेज का प्रावधान किया गया है।
बजट भाषण में दो राज्यों को आवंटन के विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए वित्तमंत्री ने आंकड़ों के साथ बताया कि यूपीए सरकारों के दौरान बजट भाषण में कितने राज्यों का नाम लिया गया। उन्होंने कहा कि बजट भाषण में राज्यों के नाम नहीं लिए जाने का अर्थ यह नहीं है कि उन्हें केन्द्र की ओर से फंड का आवंटन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि 2008-09 के बजट में 13 राज्यों का नाम नहीं था। 2009-10 में, 26 राज्यों का नाम नहीं दिया गया था। बजट 2009-10 में केवल दो राज्य थे-बिहार और उत्तर प्रदेश और कोई अन्य राज्य नहीं। तो फिर इसका क्या मतलब है? जब आप ऐसा करते हैं तो यह ठीक है।
उन्होंने कहा कि बजट 2024-25 कई उद्देश्यों के बीच संतुलन सुनिश्चित करना चाहता है। विकास महत्वपूर्ण है और उच्च विकास के माध्यम से हमारा मानना है कि असमानता को संबोधित किया जा सकता है। इसलिए बजट विकास, रोजगार, कल्याण व्यय, पूंजी निवेश और राजकोषीय समेकन पर केंद्रित है।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / अनूप शर्मा / रामानुज