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छत्तीसगढ़ के इंद्रवती नेशनल पार्क ऑपरेशन से नहीं लौटे हैं जवान, नक्सलियों के जनपितुरी सप्ताह में बढ़ सकता है मौतों का आंकड़ा

फाईल फाेटाे ऑपरेशन से नहीं लौटे हैं जवान

-सुरक्षाबलाें ने बड़े नक्सलियों को घेरा हुआ है, चौथे दिन भी अभियान जारी हैबीजापुर, 08 जून (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के इंद्रवती नेशनल पार्क के 2799 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में एक मात्र सुरक्षित बचा इलाका अब नक्सलियाें के लिए मुठभेड़ जोन बन चुका है। सुरक्षाबलाें के जवान पिछले चार दिनों से इंद्रवती नेशनल पार्क के एक बड़े हिस्से को घेरा हुआ है और जवान लगातार सर्चिग करते हुए नक्सलियों को ढेर कर रहे हैं। अब इस अभियान के दौरान तीन इनामी बड़े नक्सली मारे जा चुके हैं और सुरक्षाबलाें ने कई और बड़े नक्सलियों को घेरा हुआ है। सुरक्षाबल के जवान पिछले चार दिनों से यहां नक्सल विराेधी अभियन जारी रखे हुए हैं।

उल्‍लेखनीय है क‍ि जवानों ने सुधाकर सहित कई बड़े नक्सलियों को ढेर कर दिया है। इसके अलावा हिड़मा, पापा राव जैसे बड़े कैडर के नक्सलियाें को सुरक्षाबलाें ने घेर रखा है। ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि आने वाले दिनों में नक्सलियों के मारे जाने का आंकड़ा बढ़ सकता है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि नक्सली प्रति वर्ष 5 से 11 जून तक जनपितुरी सप्ताह मनाते हैं और समूह में एकत्र होते हैं। इस वर्ष जनपितुरी सप्ताह का आयोजन इंद्रावती टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क के एरिया के अलग-अलग गांवों में होना था। इसे लेकर यहां बड़े कैडर के नक्सलियाें का जमावड़ा नेशनल पार्क के जंगल में था, जिसकी सटीक सूचना पर सुरक्षाबलाें ने नक्सलियाें काे इस इलाके में घेर लिया और 5 जून को नक्सलियाें के जनपितुरी सप्ताह के पहले दिन एक करोड़ का इनामी सुधाकर मारा गया। 6 जून को 45 लाख के इनामी भास्कर को भी मार गिराया था। इसके अलावा सात जून को 5 अन्य नक्सली भी इस कार्रवाई में ढेर किए गए हैं। इस वर्ष 5 जून से 11 जून तक मनाये जाने वाले नक्सलियाें के जनपितुरी सप्ताह मेें कितने नक्सलियाें का खात्मा हाेता है, यह आने वाले दिनाें में पता चल जाएगा।

अपने साथियों की याद में 5 से 11 जून तक मनाते हैं, जनपितुरी सप्ताह-नक्सली प्रति वर्ष 5 जून से 11 जून तक जनपितुरी सप्ताह मनाते हैं। इस दाैरान नक्सली पूरे सप्ताह अलग-अलग इलाकों और गांवों में अपने मारे गए नक्सली साथियों की याद में श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित करते हैं। इन सभाओं में वे अपने कैडर को वीर पुरूष बताते हैं और उसे जनता के लिए अपनी जान का बलिदान देने वाला बताते हैं। इसके तहत नक्सली अपने कोर इलाकों में बैठक करके नई रणनीतियां बनाते हैं। जनपितुरी सप्ताह के दौरान नक्सली छोटी-बड़ी घटनाओं को अंजाम देने की फिराक में भी रहते हैं। रेल, सड़क, बिजली के खंभे, साप्ताहिक बाजार जैसे जगह नक्सलियों के निशाने पर रहते हैं। इसके अलावा वे यह बताने की कोशिश करते हैं कि उनके प्रभाव वाले इलाके में जनता उनके साथ है।

वर्ष 2006 से अब तक नक्सली जनपितुरी सप्ताह मना रहे हैं। इसके मद्देनजर प्रति वर्ष यात्री ट्रेनों को रद्द कर दिया जाता था, वहीं नक्सली बड़ी संख्या में बैनर-पाेस्टर लगाकर इसकी घोषणा कर बस्तर के जंगल में हजाराें की संख्या में ग्रामीणाें काे एकत्र कर खुलेआम बड़े-बड़े नक्सल स्मारक बनाकर नाच-गाने के साथ जनपितुरी सप्ताह मनाते हुए शक्ति प्रर्दशन करते रहे हैं। लेकिन इस वर्ष नक्सली संगठन जनपितुरी सप्ताह मनाने की स्थित में नहीं है और अपनी जान बचानें में लगे हुए हैं।

गौरतलब है कि नेशनल पार्क के जंगल में आज चाैथे दिन भी सुरक्षाबलों का नक्सलियों के विरुद्ध अभियान जारी है। सुरक्षाबलाें के जवान अभी ऑपरेशन से वापस लौटे नहीं है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि आने वाले दिनों में नक्सलियों के मारे जाने का आंकड़ा बढ़ सकता है। बस्तर में सक्रिय रहे कुछ बड़े कैडर के नक्सली तेलंगाना के जंगलों में महफूज बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि तेलंगाना से नक्सल विराेधी ऑपरेशन्स को सहयाेग नहीं मिल रहा है। सूत्रों का कहना है कि छग और केंद्र में भाजपा की सरकार होने की वजह से यहां समन्वय की कमी नहीं हैं। तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए वहां दिक्कत है।

बस्तर आईजी सुदरराज पी. ने बताया कि नक्सली समय-समय पर कई तरह के सप्ताह मनाते हैं। नक्सली इसके जरिए इलाके में आतंक का माहौल बनाने का प्रयास करते हैं। लेकिन अब बस्तर में नक्सली मोर्चे पर तैनात सुरक्षाबल के जवान नक्लवाद के खात्मे के लिए तय लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं। बस्तर आईजी ने भरोसा दिलाया कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सली मुक्त करने का जो लक्ष्य सुरक्षाबलों को दिया है, उसके पहले ही बस्तर के सभी जिलों से नक्सलवाद को खत्म कर दिया जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / राकेश पांडे

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