इन्दौर, 30 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । इंदौर जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत चल रहे कार्यों से इंदौर जिले को क्लब फूट मुक्त जिला घोषित किया जाएगा। इस अभियान के तहत 0 से 18 वर्ष के बच्चों में चार प्रकार की परेशानियों की जांच विभिन्न स्तरों पर की जा रही है। इनमें जन्म के समय किसी प्रकार के विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता सहित विकास में रूकावट की जांच शामिल है।
यह जानकारी अभियान की प्रगति की समीक्षा के लिए बुधवार को यहां कलेक्टर आशीष सिंह की अध्यक्षता में बैठक में दी गई। बैठक में बताया गया कि जन्म के समय, समुदाय स्तर और आंगनवाड़ी तथा स्कूल स्तर पर बच्चों की लगातार जांच की जा रही है। जांच के दौरान बच्चों में होने वाली बीमारियों और विकारों को पहचान कर उन्हें दूर करने के प्रयास किये जा रहे हैं। जिले में क्लब फूट विकारता को दूर करने के अच्छे प्रयास हुए हैं। इसके फलस्वरूप जिले को 31 मार्च 2025 में क्लब फूट मुक्त घोषित किया जाएगा।
कलेक्टर आशीष सिंह ने निर्देश दिए है कि इस बीच में सभी बच्चों को चिन्हित कर लिया जाए, अगर कोई बच्चा क्लब फूट से पीड़ित है तो तुरंत इलाज कराया जाए। उन्होंने इस संबंध में सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों से एक-एक प्रमाण पत्र लेने के निर्देश दिए। बैठक में बच्चों में होने वाली बीमारियों के तुरंत उपचार के निर्देश भी अधिकारियों को दिए गए।
दिव्यांगजनों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए बनाया गया रोजगार पोर्टल
कलेक्टर आशीष सिंह की पहल पर दिव्यांगजनों (निःशक्तजन) को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने तथा उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए रोजगार पोर्टल बनाया गया है। पोर्टल में पंजीयन एवं रोजगार उपलब्ध कराने के संबंध में प्रशिक्षण सह कार्यशाला आयोजित होगी। इस संबंध में बुधवार को एसोसिएशन ऑफ इण्डस्ट्रीज, होटल एसोसिएशन तथा नर्सिंग एसोसिएशन इंदौर के अध्यक्षों से चर्चा की गई है और पत्र के माध्यम से प्रशिक्षण सह कार्यशाला आयोजित करने का आग्रह किया गया है।
बताया गया कि जिला स्तर पर दिव्यांगजनों को निजी इकाईयों में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की दृष्टि से रोजगार पोर्टल प्रारंभ किया गया है। उक्त पोर्टल पर वर्तमान में 1743 से अधिक विभिन्न श्रेणी के दिव्यांगजनों के द्वारा अपना पंजीयन किया गया है। पोर्टल पर पंजीकृत दिव्यांगजनों को उनकी योग्यता एवं कार्य क्षमता के अनुसार रोजगार उपलब्ध करवाना है। साथ ही ऐसे रोजगार जिसमें रोजगार के पूर्व प्रशिक्षण की आवश्यकता है वह प्रशिक्षण भी निजी इकाईयों के माध्यम से करवाया जाकर दिव्यांगजनों को पुनर्वासित करना है। आग्रह किया गया है कि उक्त संगठन 20-20 निजी इकाईयों के एच.आर./ प्रमुख के लिए एक प्रशिक्षण सह कार्यशाला (एक-एक घण्टे की) की तैयारी पृथक-पृथक दिनांकों पर करें। जिला प्रशासन की टीम द्वारा प्रशिक्षण दिया जाकर वहीं निजी इकाईयों का पंजीयन पोर्टल पर कर दिया जायेगा ताकि पोर्टल से ही इकाईयां दिव्यांगजनों को रोजगार के अवसर प्रदान करें। पत्र में उल्लेखित किया गया है कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अंतर्गत निजी क्षेत्रों में 5 प्रतिशत का आरक्षण का प्रावधान है। दिव्यांगजनों को रोजगार के अवसर प्रदान करना, दिव्यांगजनों का समान कार्य के लिए समान वेतन का अधिकार, कंपनियों को दिव्यांगजनों के लिए कार्यस्थल में अनुकूलन करना होता है। प्रशिक्षण और विकास के अवसर प्रदान करना है। अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत दिव्यांगजनों के जीवन स्तर में सुधार लाना आवश्यक है। इसी दृष्टि से कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा एक सकारात्मक पहल की गई है। आगामी 04 से 15 नवम्बर 2024 तक होटर्ल्स, हॉस्पिटल एवं कम्पनियों के साथ प्रशिक्षण सह कार्यशाला आयोजित की जाए।
(Udaipur Kiran) तोमर