
इंदौर, 30 मई (Udaipur Kiran) । पुण्य श्लोका देवी अहिल्याबाई होलकर शिव भक्त होने के साथ-साथ उन्होंने सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए कई प्रकार के सामाजिक और धार्मिक अनुष्ठान के साथ कल्याणकारी कार्य भी किये। उन्हीं के पदचिन्हों पर चलकर भरतनाट्यम नृत्यांगना और कलागुरु श्रुति राजीव शर्मा नृत्य कला और गायन के माध्यम से बालिकाओं और महिलाओं को सशक्त कर रही है। कलागुरू श्रुति शर्मा ने अभी तक चार हजार से अधिक बालिकाओं और महिलाओं को भरतनाट्यम नृत्य का विधिवत प्रशिक्षण देकर उन्हें भारत के सांस्कृतिक मूल्यों और विरासत से न केवल जोड़ा, बल्कि उन्हें सशक्त भी किया।
उल्लेखनीय है कि भरतनाट्यम नृत्य कला दो हजार वर्ष से अधिक पुरानी कला है, जो विशेषकर दक्षिण भारत में सर्वाधिक लोकप्रिय है। श्रुति शर्मा इस नृत्य कला का देशभर में प्रसार-प्रचार करने के साथ-साथ इसे पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता, नारी सशक्तिकरण, बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं आदि विषयों से जोड़कर इसे और अधिक लोकप्रिय बना रही है। विशेषकर उत्तर भारत में।
जनसम्पर्क अधिकारी महिपाल अजय ने शुक्रवार को बताया कि श्रुति शर्मा स्वयं एक कुशल भरतनाट्यम नृत्यांगना है और उन्होंने मात्र छह वर्ष की उम्र में इस कला का ककहरा सीखा, बाद में इसमें अपना करियर बनाया और फिर इसके बाद फिर पिछे मुड़कर नहीं देखा। श्रुति शर्मा ने भरतनाट्यम के साथ कुचिपुडी और गायन में बकायदा डिग्री हासिल की। देश के विभिन्न शहरों विशेषकर दिल्ली, चैन्नई, पुणे, नागपुर, हैदराबाद, औरंगाबाद आदि में भरतनाट्यम की एकल प्रस्तुति देने के अलावा श्रुति ने पेरिस, सिंगापुर और मलेशिया में भी प्रस्तुति देकर इस कला को शिखर तक पहुँचाया।
26 वर्ष पूर्व श्रुति वर्मा ने वरदा कला संस्थान इंदौर के नाम से एक संस्था शुरू की, जिसके माध्यम से बाल उम्र की बच्चियों को भरतनाट्यम नृत्यकला में प्रशिक्षित करने के साथ-साथ उन्हें मंच भी प्रदान करा रही है। वर्ष 2016 में इंदौर के इतिहास में पहला भरतनाट्यम का अरंगनेत्रम हुआ। भरतनाट्यम नृत्यकला में अरंगनेत्रम गुरू-शिष्य परंपरा का ऐसा विधान है, जिसमें गुरू की तरफ से शिष्य को यह मान्यता मिल जाती है कि अब वह स्वतंत्र रूप से अपनी प्रस्तुति दे सकता है। श्रुति शर्मा के निर्देशन में 2020 में डॉ. आरोही कल्याणकर, अंतरा चांस्कर और ध्वनि दिनेश ने अरंगनेत्रम किया। अभी तक इस संस्थान की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 175 से अधिक प्रस्तुतियां हो चुकी, जिसमें खजुराहों महोत्सव, कालिदास महोत्सव, महेश्वर महोत्सव, अहिल्या उत्सव आदि शामिल है। पिछली 20 अप्रैल को इसी संस्थान की प्रस्तुति ऐतिहासिक राजवाड़ा में हुई, जिसे सभी ने सराहा।
कलागुरू श्रुति शर्मा का मानना है कि भरतनाट्यम नृत्य कला केवल मनोरंजन का साधन नहीं होकर, बल्कि छात्रों का आध्यात्मिक विकास, समाज के प्रति जागरूकता और ज्वलंत मुद्दे पर राष्ट्र भक्ति के माध्यम से उसे प्रस्तुत करना हैं। श्रुति शर्मा को वर्तमान में संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की ओर से रेपेट्री ग्रांट मिलना भी शुरू हो गई है। श्रुति शर्मा भरतनाट्यम नृत्यांगना के साथ-साथ आर्कीटेक्चर इंजीनियर भी है और इस विषय की उन्होंने विधिवत शिक्षा भी ली। उनके पास चार पहिया वाहन है जिसके माध्यम से वह अपने सभी कार्य संपादित करती है।
(Udaipur Kiran) तोमर
