


– बच्चों से लेकर बुजुर्गों सहित न्यायाधिपति, अधिवक्ता, अधिकारियों, नागरिकों ने लिया हिस्सा
इंदौर, 02 मार्च (Udaipur Kiran) । इंदौर में लोक अदालत और मध्यस्थता के संबंध में जनजागृति के लिये रविवार को विशाल मैराथन निकाली गयी। इस विशाल मैराथन में बच्चों से लेकर बुजुर्गों सहित न्यायाधिपति, अधिवक्ता, अधिकारियों, नागरिकों आदि ने हिस्सा लिया। मप्र उच्च न्यायालय खण्डपीठ इंदौर के कैंपस में यह मैराथन पंजीयन के साथ प्रारंभ हुई। मैराथन का शुभारंभ झण्डी दिखाकर मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के अध्यक्ष न्यायाधिपति संजीव सचदेवा एवं उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति इंदौर के अध्यक्ष न्यायाधिपति विवेक रूसिया ने किया। इस अवसर पर उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधिपति भी विशेष रूप से मौजूद थे।
मैराथन में भाग लेने हेतु एक हजार 205 प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन कराया। मैराथन एवं जागरूकता रैली में लगभग एक हजार 500 से अधिक प्रतिभागी सम्मिलित हुए। प्रतिभागियों को कैप एवं टी-शर्ट दिये गये। मैराथन हाई कोर्ट कैंपस से प्रारंभ होकर जंजीरवाला चौराहा, इण्डस्ट्री हाउस, पलासिया, गीता भवन चौराहा, मधु मिलन चौराहा होते हुए रीगल चौराहा से उच्च न्यायालय के गेट क्रमांक एक हाई कोर्ट कैंपस में सम्पन्न हुई।
न्यायाधिपति संजीव सचदेवा ने बताया कि इस जागरूकता मैराथन एवं रैली में उपस्थित जन सैलाब को देखते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आप सभी मध्यस्थता के माध्यम से समाजिक रिश्तों में समरसता लाने का भरपूर प्रयास कर रहे है। आप लोगों को देखकर हमारा उत्साह बढा है। आप लोग जिस पथ पर चल रहे हैं, वह अविस्मरणीय है। यहां उपस्थित दो साल के बच्चे से लेकर 80 साल के बुजुर्ग का हौसला देखकर मुझे यकीन है कि आप लोग मध्यस्थता के मार्ग में जरूर सफलता प्राप्त करेंगे। न्यायाधिपति ने वकालत के दिनों की कहानी सुनाते हुए बताया कि मां-बेटे के बीच का विवाद गुरुद्वारा के समक्ष पहुंचा जहां पर बेटे को बताया गया कि मां के पैर छू लो, मां के चरणों में तो स्वर्ग होता है, बेटे के पैर छूते ही मां ने उसे गले लगाया और विवाद का वहीं निराकरण हो गया।
न्यायाधिपति विवेक रूसिया ने बताया कि लोक अदालत एवं मध्यस्थता के माध्यम से मामलों का निराकरण होने से विन-विन (न कोई जीता न कोई हारा) की स्थिति होती है इसमें दोनों पक्षकार की विजय होती है। इन्दौर में सामुदायिक मध्यस्थता के माध्यम से लगभग पाँच हजार से अधिक मामलों का निराकरण किया जा चुका है। जिस कारण लगभग पाँच हजार से अधिक प्रकरण न्यायालयीन प्रक्रिया से बच गए हैं। इसमें 27 समाज के 110 मध्यस्थतों की अहम भूमिका है। मध्यस्थता के कार्य को न केवल प्रत्येक समुदाय द्वारा अपितु रेवन्यू विभाग की जनसुनवाई, पुलिस कमिश्नर जनसुनवाई में भी किया जा रहा है। इसके साथ ही भविष्य में नगर निगम के जनसेवा केन्द्र (कम्युनिटी हॉल) के माध्यम से भी मध्यस्थता कार्यवाही संचालित की जाएगी।
न्यायाधिपतिगण द्वारा विजेताओं को मेडल एवं प्रथम पुरस्कार 11 हजार रुपये, द्वितीय पुरस्कार 7 हजार 100 रुपये एवं तृतीय पुरस्कार पांच हजार 100 रुपये पुरस्कार क्रमशः पुरूष वर्ग में वंश चौधरी, संजय मुकाती तथा जयंत नास्कर तथा महिला वर्ग में प्राची पड़ियार, जयश्री राय तथा पलक सोनकर को प्रदान किये गये।
मैराथन में उच्च न्यायालय खण्डपीठ इन्दौर के न्यायाधिपति सुबोध अभ्यंकर, न्यायाधिपति प्रेम नारायण सिंह, न्यायाधिपति बी.के. द्विवेदी, प्रिसिंपल रजिस्ट्रार/सचिव, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति इन्दौर, ओ.एस.डी. रजिस्ट्रार म.प्र. उच्च न्यायालय खण्पीठ इन्दौर, जिला न्यायालय के समस्त न्यायाधीशगण,महापौर पुष्यमित्र भार्गव, संभागायुक्त दीपक सिंह, पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह, नगर निगम कमिश्नर शिवम वर्मा के साथ-साथ अन्य प्रशासनिक अधिकारीगण, पुलिस अधिकारीगण, उच्च न्यायालय एवं जिला न्यायालय अभिभाषक संघ के अध्यक्ष एवं कार्यकारिणी के साथ सामुदायिक मध्यस्थ चैनल अधिवक्तागण, डॉ.मोहम्मद शमीम सेवा निवृत्त न्यायाधीश मॉस्टर ट्रेनर उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) तोमर
