Madhya Pradesh

इंदौरः मसकुलर डिस्ट्रॉफी के इलाज के लिए चाचा नेहरू चिकित्सालय में शीघ्र शुरू होगा बड़ा सेंटर

चाचा नेहरू चिकित्सालय

– कलेक्टर ने पीड़ित दिव्यांगजनों के पालकों की मांग पर डीडीआरसी में प्रारंभिक स्तर पर थेरेपी सेंटर प्रारम्भ करने के दिये निर्देश

इंदौर, 28 दिसंबर (Udaipur Kiran) । मसकुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित दिव्यांगजनों के पालकों ने शनिवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय में कलेक्टर आशीष सिंह से भेंट की। पालकों द्वारा मसकुलर डिस्ट्रॉफी के इलाज हेतु व्यवस्था करने हेतु कलेक्टर से गुहार लगायी गई। इसकी थेरेपी के लिए इंदौर में सेंटर प्रारम्भ करने की मांग की गई। उन्होंने कलेक्टर को बताया कि अभी थेरेपी के लिये बेंगलूर, केरल, दिल्ली लेकर जाना पड़ता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भी मन की बात कार्यक्रम में मसकुलर डिस्ट्रॉफी के विषय में गंभीर चिंता जाहिर की गई है।

कलेक्टर आशीष सिंह ने सामाजिक न्याय विभाग को निर्देशित किया कि जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र में प्रारम्भिक स्तर पर थेरेपी सेंटर प्रारम्भ किया जाये। उन्होंने कहा कि चाचा नेहरू चिकित्सालय में चर्चा करके शीघ्र ही बड़ा सेंटर प्रारम्भ कराया जाएगा। पालकों में अरुण कुमार मिश्रा, विनोद वर्मा, राजेश पाटीदार, दीपक द्विवेदी, समाजसेवी सुनील न्याति और सामाजिक न्याय विभाग से शैलेन्द्र सोलंकी उपस्थित थे।

मसकुलर डिस्ट्रॉफी बच्चों में होने वाली एक गंभीर और दुर्लभ आनुवंशिक विकार है, जो मांसपेशियों को प्रभावित करता है। यह विकार मांसपेशियों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे मांसपेशियों की ताकत और कार्यक्षमता कम हो जाती है।

पालकों द्वारा मसकुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षण के बारे में बताया गया और उससे बचाव के उपाय भी बताएं गये। बताया गया कि इससे मांसपेशियों में कमजोरी, सिकुड़न, चलने और खड़े होने में कठिनाई, सांस लेने में कठिनाई और हृदय संबंधी समस्याएं होती हैं। मसकुलर डिस्ट्रॉफी कई प्रकार के होते हैं, जैसे डचेन मांसपेशी डिस्ट्रॉफी (डीएमडी), बेकेर मांसपेशी डिस्ट्रॉफी (बीएमडी), लिम्ब-गिर्डल मांसपेशी डिस्ट्रॉफी (एलजीएमडी), फेसियोस्कैपुलोहुमरल मांसपेशी डिस्ट्रॉफी (एफएसएचडी) आदि। मसकुलर डिस्ट्रॉफी का इलाज फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी, दवाइयां और सर्जरी है।

(Udaipur Kiran) तोमर

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