लखनऊ, 27 अगस्त (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मंगलवार को कन्वेंशन सेंटर में आयोजित मेडिविजन कान्फ्रेन्स का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बोलते हुए ब्रजेश पाठक ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद भारत का सबसे बड़ा छात्र संगठन है। एबीवीपी राष्ट्रवादी संगठन है। यह राष्ट्र के लिए काम करता है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की चिकित्सा व्यवस्था जन—जन के लिए है। मेडिकल साइंस में भारत ने दुनिया में परचम लहराने का काम किया। दुनिया का कोई भी राष्ट्राध्यक्ष होगा भारत का कोई न कोई चिकित्सक वहां मौजूद है। उत्तर प्रदेशा में 65 मेडिकल काॅलेज हँ। लोहिया, केजीएमयू व एसजीपीजीआई जैसे बड़े चिकित्सा संस्थान हैं। इसके अलावा सीएचसी, पीएचसी व आरोग्य मंदिर हैं।
ब्रजेश पाठक ने कहा कि भारत का परचम दुनिया के सर्वोच्च शिखर पर फहराये यह युवाओं की जिम्मेदारी है। चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में सरकार अपने स्तर से प्रयास कर रही है लेकिन हम अपने अंदर विचार करें कि हम केवल नौकरी के लिए नहीं हैं।
पहले बड़े अस्पतालों में गरीब आदमी इलाज नहीं करा पाता था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनकी पीड़ा को समझा। आज गरीब को चिंता नहीं है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में मोदी ने अदभुत कार्य किया है। यूपी में मेडिकल की सीटों में दोगुना की वृद्धि हुई है। वन डिस्ट्रक्ट वन मेडिकल काॅलेज बनाने की ओर हम आगे बढ़ रहे हैं। 65 मेडिकल काॅलेज पूरी क्षमता के साथ कार्य कर रहे हैं।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा नेतृत्व संवेदनशील है। बंगाल में जो घटना हुई है, हर स्थिति में हम ऐसे दरिंदों को कड़ी से कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित करायेंगे। आपकी सरकार है। वर्तमान परिस्थितियां आसान नहीं हैं।
पूरी दुनिया की नजर भारत पर है। दुनिया की आसुरी शक्तियां भारत के झण्डे को शिखर की ओर बढ़ता हुआ नहीं देखना चाहती। भारत किसी भी मामले में कमजोर नहीं है। शीघ्र ही हम तीसरी आर्थिक शक्ति बनने जा रहे हैं।
इस अवसर पर अभाविप के क्षेत्र संगठन मंत्री घनश्याम शाही, मेडिविजन के राष्ट्रीय संयोजक डाॅ. अभिनन्दन कुमार बोकरिया, केजीएमयू के डाॅ. पूरनचंद और डाॅ. कौशल किशोर प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
चिकित्सक व मरीज के बीच संवेदना का होना आवश्यक : राजशरण शाही
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजशरण शाही ने कहा कि यह आयोजन चिकित्सा सेवा के नये—नये प्रतिमान उभरेंगे। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के आने से पूर्व भारत आर्थिक दृष्टि से समृद्ध था। अंग्रेजों ने विचार किया कि जब भारत का युवा सांस्कृतिक चेतना से विमुख होगा तब हम देश को गुलाम बना सकेंगे। इसके लिए अंग्रेजों ने योजनाबद्धरूप से काम किया। बाद में अंग्रेंजों के साथ संघर्ष हुआ।
राजशरण शाही ने कहा स्वतंत्र भारत के निर्माण में सर्वाधिक भूमिका युवाओं व छात्रों की हो सकती है। चिकित्सक व मरीज के बीच संवेदना का होना आवश्यक है। चिकित्सा धर्म बने। इसके लिए मेडीविजन काम कर रही है। अभाविप की स्थापना के पीछे एक वैचारिक अधिष्ठान है। हम चाहते हैं कि भारत की संस्कृति व परम्पराओं के आधार पर देश का विकास हो। शिक्षा के क्षेत्र में पुननिर्माण के संकल्प की पूर्ति के लिए अभाविप की स्थापना हुई। आज 75 वर्षों की यात्रा में अभाविप समाज जीवन के विविध क्षेत्रों में नित्य नये प्रतिमान गढ़ रहा है। उन्होंने कहा अंग्रेजों ने भारत की शिक्षा व चिकित्सा पद्धति को नष्ट करने का काम किया। छात्रों का समाज जीवन में योगदान कैसे हो इसपर भी अभाविप काम कर रही है। शिक्षा के बाजारीकरण व शिक्षा में मूल्यों के क्षरण का विषय हो इसपर भी हमने काम किया है। अभाविप एक ऐसा छात्र संगठन है जो समस्या नहीं समाधान का मार्ग खोजता है।
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(Udaipur Kiran) / बृजनंदन यादव / दिलीप शुक्ला