जम्मू, 12 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । आरएसएस के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत जी ने शनिवार को जम्मू कश्मीर सहित पूरे देश को बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व विजयादशमी की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर सहित सभी चुनाव भी शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गए हैं। देश की युवा शक्ति, मातृशक्ति, उद्यमी, किसान, श्रमिक, जवान, प्रशासन, शासन सभी, प्रतिबद्धता पूर्वक अपने अपने कार्य में डटे रहेंगे यह विश्वास है। उन्होंने कहा कि गत वर्षों में देशहित की प्रेरणा से इन सबके द्वारा किए गए पुरुषार्थ से ही विश्वपटल पर भारत की छवि, शक्ति, कीर्ति व स्थान निरन्तर उन्नत हो रहा है। परन्तु हम सबके इस कृतनिश्चय की मानो परीक्षा लेने कुछ मायावी षडयंत्र हमारे सामने उपस्थित हुए है जिन्हें ठीक से समझना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने कार्य के 100वे वर्ष में प्रवेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि आर्य समाज के संस्थापक महर्षी दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जन्म जयन्ती का भी यही वर्ष है। पराधीनता से मुक्त होकर काल के प्रवाह में आचार धर्म व सामाजिक रीतिरिवाजों में आई विकृतियों को दूर कर समाज को अपने मूल के शाश्वत मूल्यों पर खडा करने का प्रचंड उद्यम उन्होंने किया। भारत वर्ष के नवोत्थान की प्रेरक शक्तियों में उनका नाम प्रमुख है।
रामराज्य सदृश ऐसा वातावरण निर्माण होने के लिए प्रजा की गुणवत्ता व चारित्र्य तथा स्वधर्म पर दृढ़ता जैसी होना अनिवार्य है वैसा संस्कार व दायित्वबोध सब में उत्पन्न करने वाला सत्संग अभियान परमपूज्य श्री श्री अनुकूलचन्द्र ठाकुर के द्वारा प्रवर्तित किया गया था
उन्होंने कहा कि आगामी 15 नवम्बर से भगवान बिरसा मुंडा की जन्मजयंती का 150 वां वर्ष प्रारंभ होगा। यह सार्धशती हमें जनजातीय बंधुओं की गुलामी तथा शोषण से स्वदेश पर विदेशी वर्चस्व से मुक्ति, अस्तित्व व अस्मिता की रक्षा एवं स्वधर्म रक्षा के लिए भगवान बिरसा मुंडा की प्रेरणा का स्मरण करा देगी।
उन्होंने कहा कि आज का युग मानव जाति की द्रुतगति से भौतिक प्रगति का युग है। विज्ञान व तकनीकी के सहारे जीवन को हमने सुविधाओं से परिपूर्ण बनाया है। परन्तु दूसरी ओर हमारे अपने स्वार्थों की कलह हमें विनाश की ओर धकेल रहे है । मध्यपूर्व मे इस्राएल के साथ हमास का छिड़ा हुआ संघर्ष अब कहां तक फैलेगा यह चिंता सबके सामने उपस्थित हैं। अपने देश में भी परिस्थितियों में आशा आकांक्षाओं के साथ चुनौतियां व समस्याएं भी विद्यमान है।
उन्होंने कहा कि हमारी विश्वबंधुत्व की भावना पर्यावरण के प्रति हमारे दृष्टि की स्वीकृति, योग इत्यादि को विश्व निरूसंकोच स्वीकार कर रहा है । समाज में विशेषकर युवा पीढ़ी में स्व का गौरव बोध बढ़ते जा रहा है। कई क्षेत्रों में हम धीरे-धीरे आगे बढ़ते जा रहे है । जम्मू कश्मीर सहित सब चुनाव भी शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गए हैं। देश की युवा शक्ति, मातृशक्ति, उद्यमी, किसान, श्रमिक, जवान, प्रशासन, शासन सभी, प्रतिबद्धता पूर्वक अपने अपने कार्य में डटे रहेंगे यह विश्वास है।
उन्होंने कहा कि अभी अभी बांग्लादेश में जो हिंसक तख्तापलट हुआ उसके तात्कालिक व स्थानीय कारण उस घटनाक्रम का एक पहलू है। परन्तु हिंदू समाज पर अकारण नृशंस अत्याचारों की परंपरा को फिर से दोहराया गया। उन अत्याचारों के विरोध में वहां का हिंदु समाज इस बार संगठित होकर स्वयं के बचाव में घर के बाहर आया इसलिए थोड़ा बचाव हुआ। परन्तु यह अत्याचारी कट्टरपंथी स्वभाव जब तक वहां विद्यमान है तब तक वहां के हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यक समुदायों के सिर पर खतरे की तलवार लटकी रहेगी । इसीलिए उस देश से भारत में होनेवाली अवैध घुसपैठ व उसके कारण उत्पन्न जनसंख्या असंतुलन देश में सामान्य जनों में भी गंभीर चिंता का विषय बना है ।
उन्होंने कहा कि अब भारत से बचने के लिए पाकिस्तान से मिलने की बात हो रही है। ऐसे विमर्श खड़े कर व स्थापित कर कौन से देश भारत पर दबाव बनाना चाहते हैं इसको बताने की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने कहा कि बहुदलीय प्रजातांत्रिक शासन प्रणाली में सत्ता प्राप्त करने हेतु दलों की स्पर्धा चलती है। अगर समाज में विद्यमान छोटे स्वार्थ, परस्पर सद्भावना अथवा राष्ट्र की एकता व अखंडता से अधिक महत्वपूर्ण हो गये अथवा दलों की स्पर्धा में समाज की सद्भावना व राष्ट्र का गौरव व एकात्मता गौण माने गए तो ऐसी दलीय राजनीति में एक पक्ष की सहायता में खड़े होकर पर्यायी राजनीति के नाम पर अपनी उच्छेदक कार्यसूची को आगे बढ़ाना इनकी कार्यपद्धति है।
उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक एकात्मता एवं श्रेष्ठ सभ्यता की सुदृढ़ आधारशिला पर अपना राष्ट्र जीवन खड़ा है । अपना सामाजिक जीवन उदात्त जीवन मूल्यों से प्रेरित एवं पोषित है। अपने ऐसे राष्ट्र जीवन को क्षति पहुँचाने के अथवा नष्ट करने के उपरोक्त कुप्रयासों को समय पूर्व ही रोकना आवश्यक है । इस हेतु जागरूक समाज को ही प्रयत्न करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि समाज की स्वस्थ व सबल स्थिति की पहली शर्त है सामाजिक समरसता तथा समाज के विभिन्न वर्गों में परस्पर सद्भाव। कुछ संकेतात्मक कार्यक्रम मात्र करने से यह कार्य संपन्न नहीं होता है। समाज के सभी वर्गों व स्तरों में व्यक्ति की व कुटुम्बों की मित्रता होनी चाहिए। यह पहल हम सभी को व्यक्तिगत तथा पारिवारिक स्तर से करनी होगी। परस्परों के पर्व प्रसंगों में सभी की सहभागिता होकर वे पूरे समाज के पर्व प्रसंग बनने चाहिए। सार्वजनिक उपयोग के व श्रद्धा के स्थल यथा मंदिर, पानी, स्मशान आदि में समाज के सभी वर्गों को सहभागी होने का वातावरण चाहिए। परिस्थिति के कारण समाज के विभिन्न वर्गों की आवश्यकताएं सभी वर्गों को समझ में आनी चाहिए।
समाज में अनेक जाति वर्गों का संचालन करने वाली उनकी अपनी-अपनी रचनाएँ, संस्थाएं भी हैं । अपने अपने जाति वर्ग की उन्नती का, सुधार का तथा उनके हित प्रबोधन का विचार इन रचनाओं के नेतृत्व के द्वारा किया जाता है। जाति बिरादरी के नेतृत्व करने वाले लोग मिल बैठ कर और दो विषयों का विचार नित्य करेंगे तो समाज में सर्वत्र सद्भावनापूर्ण व्यवहार का वातावरण बनेगा।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चारित्र्य के व्यवहार का एक और महत्वपूर्ण पहलू है, किसी भी प्रकार की अतिवादिता तथा अवैध पद्धति से अपने आप को दूर रखना। अपना देश विविधताओं से भरा हुआ देश है। उनको हम भेद नहीं मानते, न ही मानना चाहिए। हमारी विविधताएं सृष्टि की स्वाभाविक विशिष्टताएं है। इतने प्राचीन इतिहास वाले, विस्तीर्ण क्षेत्रफल वाले तथा विशाल जनसंख्या वाले देश में यह सभी विशिष्टताएं स्वाभाविक हैं। अपनी अपनी विशिष्टता का गौरव तथा उनके प्रति अपनी अपनी संवेदनशीलताएं भी स्वाभाविक है।
उन्होंने कहा कि भारत को बढ़ने देना न चाहने वाले, अपने स्वार्थ के लिए ऐसे भारत विरोधियों के साथ आने वाले तथा स्वभाव से जो बैर और द्वेष में ही आनंद मानते हैं ऐसी शक्तियों से सुरक्षित रहकर देश को आगे बढ़ना है इसलिए शीलसंपन्न व्यवहार के साथ शक्ति साधना भी महत्त्वपूर्ण है। इसलिए संघ की प्रार्थना में ,कोई परास्त न कर सके ऐसी शक्ति और विश्व विनम्र हो ऐसा शील भगवान से मांगा गया है ।
इस अवसर पर कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि आदरणीय डॉ. कोपिल्लिल राधाकृष्णन जी, विदर्भ प्रांत के मा. संघचालक, मा. सह संघचालक, नागपुर महानगर के मा. संघचालक, अन्य अधिकारी गण, नागरिक सज्जन, माता भगिनी तथा आत्मीय स्वयंसेवक बन्धु उपस्थित थे।
(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह