Uttar Pradesh

करोड़ों वर्ष पुरानी है भारतीय ज्ञान परंपराः प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा

करोड़ों वर्ष पुरानी है भारतीय ज्ञान परंपराः प्रो. बेहरा

अवध विवि में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन

अयोध्या, 22 मार्च (Udaipur Kiran) । डिजिटलाइजेशन एवं बिजनेस इनोवेशनः ए रोड अहेड टू विकसित भारत 2047‘ विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के अंतिम दिन शनिवार को डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के व्यवसाय प्रबंधन एवं उद्यमिता विभाग में ‘ मुख्य अतिथि आईआईटी मंडी के मानद निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा ने भारतीय ज्ञान परंपरा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा करोड़ों वर्ष पुरानी है।

उन्हाेंने कहा कि भगवान कृष्ण ने अर्जुन से पहले सूर्यदेव को ज्ञान दिया था। भगवान सूर्य ने यह ज्ञान अपने पुत्र वैवस्वत मनु को दिया। वैवस्वत मनु का 28 कल्प चल रहा है और प्रत्येक कल्प में 43 लाख वर्ष होते हैं। इस हिसाब से भारतीय ज्ञान परंपरा कई करोड़ वर्ष पुरानी है। इसलिए विज्ञानियों को भारतीय ज्ञान परंपरा पर अध्ययन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नवाचार लोक मंगल और भारतीय मूल्यों के अनुसार होना चाहिए। संगोष्ठी में प्रो0 बेहरा ने कहा कि मच्छर मारने के लिए डीडीटी की खोज करने वाले को नोबल पुरस्कार मिला, लेकिन 50 साल से ज्यादा हो चुके हैं, अधिकांश पश्चिमी देशों ने इसका उपयोग बंद कर दिया। भारतीय ज्ञान परंपरा में इतनी धरोहर है कि यदि उस पर प्रकाश डाला जाए तो भारत को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता। आप्लास्टिक एनीमिया में रक्त बनना बंद हो जाता है और उपचार सिर्फ बोन मैरो ट्रांसप्लांट है, लेकिन भक्ति वेदांत विवि के आयुर्वेदिक चिकित्सालय में इस रोग के आयुर्वेदिक उपचार पर शोध हो रहा है, जिसमें नीम, गिलोय और आंवला के रस का प्रयोग किया जा रहा है।

बरेली विवि के प्रो. त्रिलोचन शर्मा ने कहा कि कोरोना जैसी विषय परिस्थितियों के बावजूद भारत की जीडीपी ग्रोथ की दर छह से सात प्रतिशत तक रही। इसका कारण यह है कि भारत बहुत बड़ा बाजार है, जबकि कोरोना के अलावा भी दुनिया में अनेक चुनौतियां हैं। कई देश युद्ध में फंसे हैं और कई देशों की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। विवि के प्राक्टर प्रो. एसएस मिश्र ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में ज्ञान जड़ों से जुड़ा हुआ है। भारतीय परंपरा संपूर्ण व्यक्तित्व के निर्माण पर जोर देती है। विभागाध्यक्ष प्रो. हिमांशु शेखर सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। कहा, भारतीय ज्ञान परंपरा में अभी ऐसे अनेक तथ्य हैं, जिनका सामने आना बाकी है और वे 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में लाने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगे।

(Udaipur Kiran) / पवन पाण्डेय

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