Uttar Pradesh

भारतीय ज्ञान एवं योग परम्परा अब विश्वव्यापी एवं सर्व स्वीकार्य

भारतीय ज्ञान एवं योग परम्परा अब विश्वव्यापी एवं सर्व स्वीकार्य*
भारतीय ज्ञान एवं योग परम्परा अब विश्वव्यापी एवं सर्व स्वीकार्य*
भारतीय ज्ञान एवं योग परम्परा अब विश्वव्यापी एवं सर्व स्वीकार्य*
भारतीय ज्ञान एवं योग परम्परा अब विश्वव्यापी एवं सर्व स्वीकार्य*

गोरखपुर, 15 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेंटर, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा, पूर्व अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने योग के सैद्धांतिक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा अब सर्व स्वीकार्य है। यूनेस्को ने भारतीय ज्ञान परम्परा एवं वेदों को स्वीकार किया है। भारत के मध्य प्रदेश में अवस्थित भीमबेटका गुफाओं का अध्ययन भारत के प्राचीनता को सिद्ध करता है। भारतीय परम्परा ऋषि परम्परा है। ऋषियों के चार गुण सत्य, तप, ऋत एवं त्याग हुआ करते हैं। इन चारों गुणों को अनुसंधान करने वाला भूखंड भारत है । महाभारत में 556 ऋषियों का उल्लेख है जिन्होंने मानवता की रक्षा की है। ऋषि परम्पर अपनेआप में योग परम्परा का उदाहरण है। मैं कौन हूं इसका उत्तर योग दे सकता है।

आगे उन्होंने कहा कि सेंधव कालीन सभ्यता से मिलने वाली मृण्मूर्तियाँ तथा सिक्कों में उकेरी हुई आकृतियों तथा कलाओं एवं मुद्राओं से योग के इतिहास को जाना जा सकता है। योग में जीवन का अंत नहीं है। योग हमेशा हिंसा का प्रतिगामी होता है तथा सर्व कल्याण की कामना करता है।

सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने योग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के अतिव्यस्त जीवन में यदि हमें लाइफस्टाइल बीमारियों से बचना है तो योग को अपनाना ही होगा। समाज के सभी व्यक्तियों खास कर शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को योग का अभ्यास नियमित रूप से करना चाहिए।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पधारे वरिष्ठ योग प्रशिक्षक, डॉ. योगेश भट्ट ने कहा स्वस्थ रहने के लिए तन और मन की शुद्धि अति आवश्यक है। मन की शुद्धि के लिए काम, क्रोध, लोभ, मद एवं मोह का परित्याग करना होता है जबकि तन की शुद्धि हेतु प्राणायाम अति आवश्यक है । प्राणायाम से तन एवं मन दोनों की शुद्धि हो जाती है। उन्होंने शौच, संतोष और तप का उल्लेख करते हुए कहा कि शौच का तात्पर्य शरीर एवं मन दोनों की पवित्रता से है ।

—————

(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय

Most Popular

To Top