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पश्चिमी दर्शन से भिन्न है भारतीय दर्शन: शशांक

डीयू में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते कुलपति योगेश सिंह और मंच पर पूर्व विदेश सचिव शशांक और फ़िजी के उच्चायुक्त जगन्नाथ सामी

-भारत के साथ गहनता से जुड़ी हैं फ़िजी की संस्कृति और इतिहास की जड़ें: जगन्नाथ सामी

-हमें अपने अंतरराष्ट्रीय पूर्व छात्रों पर है गर्व, वैश्विक विकास में दे रहे हैं अपना बहुमूल्य योगदान: कुलपति प्रो. योगेश सिंह

नई दिल्ली, 11 मार्च (Udaipur Kiran) । पूर्व विदेश सचिव शशांक ने मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के कन्वेंशन सेंटर में फॉरेन स्टूडेंट्स रजिस्ट्री (एफएसआर) विभाग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय छात्र महोत्सव-2025 में कहा कि भारतीय दर्शन पश्चिमी दर्शन से भिन्न है। उन्होंने कहा कि हमारी सोच है कि अपने ज्ञान को आप दूसरों के साथ जितना बांटेंगे उतना आप भी और प्राप्त करेंगे और अन्य लोग भी प्राप्त करेंगे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शशांक ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आप में से प्रत्येक विद्यार्थी आपके देश की भारत के साथ साझेदारी को विकसित करने में काम कर सकता है।

कार्यक्रम के दौरान विभिन्न देशों के विद्यार्थियों ने अपने-अपने देश की संस्कृति को प्रदर्शित करते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस अवसर पर बौद्ध भिक्षुओं ने प्रार्थना प्रस्तुत की। तिब्बत, फ़िजी, श्रीलंका, कंबोडिया, बेनेजुएला, थाईलैंड और साउथ कोरिया आदि के कलाकारों ने प्रस्तुतियां दीं।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि फ़िजी के उच्चायुक्त जगन्नाथ सामी ने कहा कि अपने पूर्वजों की मातृभूमि में आना उनके लिए सौभाग्य की बात है। फ़िजी की संस्कृति और इतिहास की जड़ें गहनता से भारत के साथ जुड़ी हैं। फ़िजी अपने आप में लघु भारत है। जब भारतीय लोग फ़िजी गए थे तो अपने साथ रामायण, महाभारत, गीता, कुरान और बाइबल जैसी पवित्र पुस्तकें लेकर गए थे, जिन्होंने उन्हें मानसिक और धार्मिक रूप से गहनता से मजबूत किया। रामलीला, कृष्णलीला और भजनों आदि के माध्यम से उन्होंने अपनी पहचान को बनाए रखा है।

इस अवसर पर डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि डीयू में पढ़ने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्र भारत के विभिन्न प्रदेशों का भी भ्रमण करें ताकि वह भारत की समृद्ध संस्कृति का अवलोकन कर के उसे समझ सकें। उन्होंने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय भारत का पहला विश्वविद्यालय था, जिसने 1956 में विदेशी छात्रों के लिए अफ्रीकन स्टडी विभाग में कार्यालय स्थापित किया था। कुलपति ने बताया कि डीयू के डिप्लोमा और डिग्री से लेकर पीएचडी तक सभी कोर्सों में 10 प्रतिशत सुपरन्यूमरेरी सीटों की व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए की गई है। पिछले वर्षों में हमने हजारों विदेशी विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी है।

उन्होंने डीयू के अनेक पूर्व अंतरराष्ट्रीय छात्रों की उनके देशों में मजबूत उपस्थिति का जिक्र करते हुए बताया कि मॉरीशस के वर्तमान राष्ट्रपति धर्मबीर गोखूल, श्रीलंका की वर्तमान प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या, म्यांमार की नोबल पुरस्कार विजेता आंग सान सू और नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला सहित अनेक ऐसे व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने दुनिया में डीयू का नाम रोशन किया है। कुलपति ने कहा कि हमें अपने अंतरराष्ट्रीय पूर्व छात्रों पर गर्व है, जो उनके देशों की मजबूती के साथ वैश्विक विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं।

डीयू के डीन एफएसआर प्रो. अमरजीवा लोचन ने बताया कि दुनिया भर से 45 देशों के अंतरराष्ट्रीय छात्र डीयू में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार

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