
कोलकाता, 15 मई (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल के तीस्ता फील्ड फायरिंग रेंज में भारतीय सेना ने ‘तीस्ता प्रहार’ नामक एक संयुक्त युद्धाभ्यास का सफल आयोजन किया। इस अभ्यास में सेना की विभिन्न टुकड़ियों और सेवाओं के बीच समन्वय, युद्धक क्षमता और तकनीकी आधुनिकता का प्रदर्शन किया गया। रक्षा प्रवक्ता विंग कमांडर हिमांशु तिवारी ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी।
यह अभ्यास चुनौतीपूर्ण नदी क्षेत्रों में आयोजित किया गया, जिसमें पैदल सेना, तोपखाना, बख्तरबंद वाहनों की टुकड़ियां, मशीनीकृत पैदल सेना, पैरा स्पेशल फोर्स, सेना विमानन, इंजीनियरिंग और सिग्नल कोर जैसी इकाइयों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। अभ्यास का उद्देश्य था वास्तविक युद्ध जैसी स्थितियों में सेना की सामूहिक तैयारी और कार्यप्रणाली का परीक्षण करना।
अभ्यास के प्रमुख आकर्षणों में सेना में हाल ही में शामिल की गई अगली पीढ़ी की हथियार प्रणालियों, सैन्य प्लेटफॉर्म्स और आधुनिक युद्ध तकनीकों की तैनाती और सफल मान्यता शामिल रही। यह सेना के निरंतर आधुनिकीकरण की दिशा में एक ठोस कदम बताया गया।
प्रवक्ता ने बताया कि यह अभ्यास सेना की विभिन्न इकाइयों के बीच आपसी समन्वय, रणनीतिक तालमेल और एकीकृत कार्रवाई की क्षमता को दर्शाता है। चुनौतीपूर्ण मौसम और विविध भूभाग में त्वरित और प्रभावी संचालन की सेना की क्षमता इस युद्धाभ्यास में साफ तौर पर नजर आई।
‘तीस्ता प्रहार’ में सामरिक अभ्यास, युद्धाभ्यास और अनुकूलन योग्य युद्ध संचालन तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। यह भारतीय सेना की युद्ध उत्कृष्टता, तकनीकी उन्नयन और हर परिस्थिति में तैयार रहने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इसके साथ ही सेना की स्पीयर कोर ने पिछले महीने अरुणाचल प्रदेश के अग्रिम इलाकों में भी एक व्यापक युद्धाभ्यास का आयोजन किया था, जिसमें नई पीढ़ी के उपकरणों और हथियारों की निर्बाध तैनाती कर उनकी क्षमताओं को परखा गया।
रक्षा प्रवक्ता के अनुसार, यह अभ्यास कठिन और पहाड़ी इलाकों में किया गया, जिसमें उन्नत गतिशीलता, वास्तविक समय की खुफिया जानकारी, निगरानी और संचार प्रणाली पर विशेष फोकस रहा। इसका उद्देश्य एक तेज़, शांत और स्मार्ट टैक्टिकल फोर्स का निर्माण करना था, जो तकनीक-आधारित युद्धक्षेत्र में सटीक निर्णय लेकर प्रभावी जवाब दे सके।
भारतीय सेना ने यह सिद्ध किया कि वह आधुनिक युद्ध की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए हर स्तर पर तैयार है और तकनीकी नवाचार के माध्यम से अपनी युद्धक क्षमता को लगातार सशक्त कर रही है।
गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश की सीमाएं तिब्बत (चीन) के साथ 1080 किलोमीटर, भूटान के साथ 217 किलोमीटर और म्यांमार के साथ 520 किलोमीटर तक फैली हुई हैं। ऐसे में इन इलाकों में युद्धाभ्यास की रणनीतिक अहमियत और भी बढ़ जाती है।
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(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
