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भारत बनाएगा अपना पहला ध्रुवीय अनुसंधान पोत, जीआरएसई से समझौता

सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थि‍ति में जीआरएसई और कोंग्सबर्ग के बीच एमओयू
सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थि‍ति में जीआरएसई और कोंग्सबर्ग के बीच एमओयू
सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थि‍ति में जीआरएसई और कोंग्सबर्ग के बीच एमओयू

– गार्डन रीच शिपबिल्डर्स ने नॉर्वे स्थित कोंग्सबर्ग के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए

नई दिल्ली, 03 जून (Udaipur Kiran) । भारत का पहला ध्रुवीय अनुसंधान पोत (पीआरवी) बनाने के लिए कोलकाता की फर्म गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) ने नॉर्वे की कंपनी कोंग्सबर्ग के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। अब भारत के लिए स्वदेशी रूप से पहला ध्रुवीय अनुसंधान पोत (पीआरवी) बनाने का रास्ता साफ हो गया है।

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि 2 जून को ओस्लो, नॉर्वे में समुद्री व्यापार मेले नॉरशिपिंग के दौरान इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। ये एमओयू भारत की कंपनी गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) और नॉर्वे की कोंग्सबर्ग कंपनी के साथ किए गए हैं। इस अवसर पर केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थि‍ति थे।

मंत्रालय के मुताबिक जीआरएसई और नोग्सबर्ग के बीच यह समझौता भारत के जहाज निर्माण क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि इसे पीआरवी विकसित करने के लिए डिजाइन विशेषज्ञता प्राप्त होगी। साथ ही राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (एनसीओपीआर) की आवश्यकता को ध्यान में रखा जाएगा, जो इसका उपयोग ध्रुवीय और दक्षिणी महासागर क्षेत्रों में अनुसंधान गतिविधियों के लिए करेगा।

केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल नोर-शिपिंग कार्यक्रम में भाग लेने के लिए नॉर्वे की पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं। साथ ही वे डेनमार्क की भी यात्रा करेंगे, जिसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक समुद्री क्षेत्र के नेताओं के साथ समुद्री संबंधों को और मजबूत करना है।

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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर

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