RAJASTHAN

संस्कारों की पुनर्स्थापना से बनेगा भारत फिर से जगद्गुरु : विधानसभा अध्यक्ष

लक्ष्मणगढ़ में सामूहिक यज्ञोपवीत

जयपुर/सीकर, 28 मई (Udaipur Kiran) । राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि भारत को फिर से विश्वगुरु बनाने के लिए आवश्यक है कि हम अपनी संस्कृति और संस्कारों की पुनर्स्थापना करें। उन्होंने कहा कि हमारी सनातन परंपरा और गुरू-शिष्य परंपरा ही भारत की आत्मा हैं, जिनके संरक्षण से ही राष्ट्र मजबूत बनेगा।

देवनानी बुधवार को सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ में आयोजित त्रिदिवसीय सामूहिक यज्ञोपवीत (उपनयन) संस्कार और प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग ले रहे थे।

कार्यक्रम का आयोजन वैदिक परंपराओं के प्रचार और युवा पीढ़ी में संस्कारों के बीजारोपण के उद्देश्य से किया गया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मिस्र, यूनान और रोम की सभ्यताएं लुप्त हो गईं, वहीं भारत की संस्कृति आज भी जीवंत है क्योंकि यह संस्कारों पर आधारित है।

उन्होंने कहा कि तुर्क, मुगल और अंग्रेजों ने हमारी संस्कृति को मिटाने का प्रयास किया, लेकिन अब समय आ गया है कि हम फिर से अपने पारंपरिक मूल्यों को जागृत करें और उन्हें नई पीढ़ी तक पहुंचाएं। देवनानी ने गुरू-शिष्य परंपरा पर व्याख्यान देते हुए उपनयन और यज्ञोपवीत की वैज्ञानिक महत्ता को सरल भाषा में समझाया।

इस अवसर पर उन्होंने महान वैदिक विद्वान आचार्य नटवरलाल जोशी के जीवन और योगदान को भी याद किया और कहा कि संस्कार और राष्ट्रवाद एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने समाज से आह्वान किया कि जोशी द्वारा चलाए गए वैदिक उपक्रमों को आगे बढ़ाएं।

कार्यक्रम में शेखावाटी विश्वविद्यालय के कुलपति अनिल राय, हरीराम रणवा, महेश शर्मा सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। संचालन डॉ. आशीष जोशी ने किया।

सावरकर का क्रांतिकारी व्यक्तित्व युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत

इसी दिन वीर सावरकर जयंती पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए देवनानी ने कहा कि सावरकर का क्रांतिकारी व्यक्तित्व और राष्ट्रवादी विचारधारा आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि सावरकर ने केवल स्वतंत्रता संग्राम में भाग नहीं लिया, बल्कि सामाजिक समरसता के लिए ‘एक मंदिर, एक भोजन, एक जल’ जैसे सिद्धांतों को बढ़ावा दिया।

देवनानी ने युवाओं से आह्वान किया कि वे सावरकर के विचारों को पढ़ें, समझें और उन्हें आत्मसात कर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय की सामाजिक और वैचारिक चुनौतियों से निपटने के लिए सावरकर का दृष्टिकोण अत्यंत प्रासंगिक है।

देवनानी ने कहा कि आज जरूरत है एक ऐसे समाज की जो अपने गौरवशाली अतीत को समझते हुए, संस्कार और राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत भविष्य की दिशा में आगे बढ़े।

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(Udaipur Kiran) / रोहित

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