लखनऊ, 30 अगस्त (Udaipur Kiran) । संस्कृति पुनरुत्थान समिति व राष्ट्रधर्म प्रकाशन लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रधर्म कार्यालय में बांग्लादेश: वर्तमान समस्या और समाधान विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राष्ट्रधर्म के प्रभारी निदेशक सर्वेश चन्द्र द्विवेदी ने कहा कि बांग्लादेश में तख्तापलट की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत ने ही बांग्लादेश को बनने दिया है। इसलिए बांग्लादेश में अगर लोकतंत्र की बहाली के लिए भारत को सैन्य कार्रवाई भी करनी पड़े तो करना चाहिए। सर्वेश चन्द्र द्विवेदी ने कहा कि विदेशों से हमारा संबंध ठीक रहे और पड़ोसी देशों में शांति स्थापित हो, इसका प्रयास भारत सरकार को करना चाहिए। भारत निरंतर मजबूत हो रहा है। यह दुनिया के अन्य देशों को खल रहा है। कुंवर आजम खां ने कहा कि पाकिस्तान को बांग्लादेश की आजादी खटक रही है। बांग्लादेश में पाक की साजिश कामयाब हुई। बांग्लादेश में तख्तापलट करने के लिए पाकिस्तान व चीन ने मिलकर साजिश रची। इस मुद्दे पर भारत सरकार को गहरी नजर रखनी चाहिए। इस कठिन दौर में भारत को बांग्लादेश का साथ नहीं छोड़ना चाहिए और लोकतंत्र की बहाली के लिए प्रयास करना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार सर्वेश सिंह ने कहा कि बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया और भारत सरकार को खबर नहीं हुई। इसका मतलब भारत की खुफिया एजेंसी इस मुद्दे पर फेल साबित हुई है। अगर इसकी खबर भारत सरकार को पहले से थी तो भारत सरकार ने इसके लिए क्या कदम उठाये।
विषय प्रस्तावना रखते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के डॉक्टर सौरभ मालवीय ने कहा कि बांग्लादेश आंतरिक संघर्षों से जूझ रहा है। गरीबी, बेरोजगारी, कटटपंथी, चरमपंथियों का आतंक पूरे मुल्क में व्याप्त है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों के साथ हमारा संबंध ठीक होना चाहिए। इस बात का खास ध्यान रखते हुए भारत सरकार के नीतिगत फैसलों में पूरे देश को मिलकर साथ देने का समय है। ताकि वहां के हिन्दुओं की चिंता भारत कर सके।
बाबूलाल शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में भारत के पड़ोसी देशों में स्थिति चिंताजनक है। इसके अलावा गोष्ठी को प्रान्त सामाजिक सदभाव प्रमुख राजेन्द्र, डाॅ. सत्येन्द्र त्रिपाठी, के.सी. जैन, मृत्युंजय दीक्षित आदि ने संबोधित किया। अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की क्षेत्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डाॅ. हरमेश सिंह चौहान ने की।
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(Udaipur Kiran) / बृजनंदन यादव