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भारत ने ‘गुपचुप’ लॉन्च की चौथी परमाणु पनडुब्बी एस-4, एक साथ 8 मिसाइल दागने में सक्षम

परमाणु पनडुब्बी एस-4 (फाइल फोटो)

– पहली बैलिस्टिक परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत 2016 में बनी थी समुद्री बेड़े का हिस्सा

– दूसरी पनडुब्बी अरिघाट इसी साल अगस्त में समुद्री परीक्षणों के बाद नौसेना में हुई थी शामिल

नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । भारत ने गोपनीय तरीके से विशाखापट्टनम के शिप बिल्डिंग सेंटर से अरिहंत श्रेणी की चौथी परमाणु पनडुब्बी एस-4 लॉन्च कर दी है। तीसरी पनडुब्बी को भी गुपचुप तरीके से जनवरी, 2022 में लॉन्च किया गया था। इसी श्रेणी की दो बैलिस्टिक परमाणु पनडुब्बी नौसेना के बेड़े में शामिल की जा चुकी है। चौथी परमाणु पनडुब्बी एस-4 3,500 किमी. रेंज में एक साथ 8 के-4 बैलिस्टिक मिसाइल दागने में सक्षम है। अरिहंत श्रेणी की 06 पनडुब्बियां रूस की मदद से बनाई जा रही हैं।

कनाडा के साथ कूटनीतिक विवाद के बीच भारत ने अपने शत्रुओं के खिलाफ अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए विशाखापट्टनम के शिप बिल्डिंग सेंटर (एसबीसी) में चुपचाप अपनी चौथी परमाणु ऊर्जा संचालित बैलिस्टिक मिसाइल (एसएसबीएन) पनडुब्बी का प्रक्षेपण किया है। यह 3,500 किमी. रेंज की के-4 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 15 अक्टूबर को तेलंगाना के विकाराबाद में नौसेना के वीएलएफ राडार स्टेशन की नींव रखी थी, जिसके एक दिन बाद 16 अक्टूबर को चौथी परमाणु पनडुब्बी की लॉन्चिंग हुई है। इसमें लगभग 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री है, जिसे वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम के जरिए दागा जा सकता है। आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघाट पहले से ही गहरे समुद्र में गश्त कर रही हैं।

पहली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत

भारत की पहली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत का जलावतरण तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी गुरशरण कौर ने 26 जुलाई, 2009 को किया था। यह दिन इसलिए भी चुना गया, क्योंकि यह कारगिल युद्ध में विजय की सालगिरह भी थी। प्रतीकात्मक समारोह के दौरान ड्राई डॉक में पानी भर पनडुब्बी को तैराया गया और नौसैनिक परंपरा के अनुसार गुरशरण कौर ने पतवार पर नारियल फोड़ा। इस 6000 टन के पोत को बनाने के बाद भारत वह छठा देश बन गया, जिनके पास इस तरह की पनडुब्बियां हैं। अन्य पांच देश अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस हैं। गहन बंदरगाह और समुद्री परीक्षणों से गुजरने के बाद आईएनएस अरिहंत 2016 में नौसेना के बेड़े का हिस्सा बनी थी। आईएनएस अरिहंत से 750 किमी रेंज की के-15 परमाणु मिसाइलें ले जाई जा सकती हैं।

दूसरी पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट

अरिहंत श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट में मिसाइलों की संख्या दो गुना रखी गई है, जिससे भारत को ‘पानी के युद्ध’ में और अधिक मिसाइलें ले जाने की क्षमता हासिल है। इस पनडुब्बी का कोडनेम एस-3 रखा गया था। कई बार टलने के बाद इसकी लॉन्चिंग 2017 में हो पाई। इस पनडुब्बी को मूल रूप से आईएनएस अरिदमन के नाम से जाना जाता था लेकिन लॉन्चिंग होने पर इसे आईएनएस अरिघाट नाम दिया गया था। लगभग 3 साल के समुद्री परीक्षणों के बाद इसी साल 29 अगस्त को परमाणु ऊर्जा वाली दूसरी बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट नौसेना में शामिल हो गई। यह सतह पर 12-15 समुद्री मील (22-28 किमी/घंटा) की अधिकतम गति और जलमग्न होने पर 24 समुद्री मील (44 किमी/घंटा) गति प्राप्त कर सकती है।

तीसरी परमाणु पनडुब्बी

अरिहंत श्रेणी की तीसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिदमन को भी विशाखापट्टनम स्थित शिप बिल्डिंग सेंटर से 23 नवंबर, 2021 को लॉन्च किया गया था, जिसमें भी गोपनीयता बरती गई थी। यह परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत से 13.8 मीटर बड़ी है। यह अपने साथ कम से कम 8 के-4 बैलिस्टिक मिसाइल ले जा सकती है। भारत अपनी समुद्री हमले की क्षमता बढ़ाने के लिए ऐसी कम से कम चार पनडुब्बियों को समुद्र में उतारने की योजना बना रहा है। आईएनएस अरिदमन को अगले साल नौसेना में शामिल किया जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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