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भारत ने मिसाइल और वायु रक्षा प्रणाली में सफलता की अनेक कहानियां गढ़ीं : राजनाथ 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एयरो इंडिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए

-एशिया की सबसे बड़ी हथियारों की प्रदर्शनी ‘एयरो इंडिया’ का औपचारिक उद्घाटन सोमवार को

बेंगलुरू, 09 फरवरी (Udaipur Kiran) । एयर फोर्स स्टेशन येलहंका में एशिया की सबसे बड़ी हथियारों की प्रदर्शनी ‘एयरो इंडिया’ का औपचारिक उद्घाटन सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में होंगा। पूर्व संध्या पर उन्होंने 10 से 14 फरवरी तक चलने वाले एयरो इंडिया के दौरान होने वाले कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देने के साथ ही रक्षा क्षेत्र में विकसित हो रहे भारत का खाका खींचा। राजनाथ सिंह ने रविवार को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में स्वदेशी एलसीए तेजस मार्क-2 की प्रोडक्शन लाइन का दौरा करके प्रगति का जायजा लिया।

रक्षा मंत्री एयरो इंडिया 2025 के लिए आज शाम को बेंगलुरु के एचएएल एयरपोर्ट पर उतरे और एचएएल की अत्याधुनिक एलसीए तेजस मार्क-1ए की उत्पादन सुविधा का दौरा किया। यह लड़ाकू विमान एलसीए मार्क-1 का उन्नत संस्करण है, जिसमें कई उन्नत विशेषताएं हैं। एलसीए बहु-भूमिका वाला विमान है, जो आसानी से आक्रामक हवाई सहायता, नजदीकी युद्ध और जमीनी हमले की भूमिका निभाने में सक्षम है। तेजस मार्क-1ए आने वाले दशकों तक भारतीय वायुसेना की रीढ़ की हड्डी के रूप में काम करेगा।

रक्षा मंत्री सिंह ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अपने मिसाइल विकास कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है। अग्नि मिसाइल, अस्त्र मिसाइल प्रणाली और पिनाका मिसाइल प्रणाली के उन्नत संस्करणों से लेकर अत्याधुनिक हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली और आकाश वायु रक्षा प्रणाली तक हमने सफलता की अनेक कहानियां गढ़ी हैं। इन उपलब्धियों ने भारत के रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने, भारत को और अधिक आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्होंने कहा कि रक्षा विनिर्माण में हमारा घरेलू रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड को पार कर गया है। 2025-26 के अंत तक हमें उम्मीद है कि यह आंकड़ा 1.60 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगा। इसके अलावा रक्षा निर्यात भी 21 हजार करोड़ रुपये के रिकॉर्ड को पार कर गया है और 2025-26 के अंत तक हमें उम्मीद है कि यह आंकड़ा 30 हजार करोड़ रुपये को पार कर जाएगा। रक्षा मंत्री ने विश्वास जताया कि यह आयोजन रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में हमारी यात्रा को और तेज करेगा।

रक्षा मंत्री ने बताया कि एयरो इंडिया के पहले दिन सोमवार को सीईओ की गोलमेज बैठक भी होगी, जिसका विषय ‘ईडीजीई’ है, जिसका अर्थ है वैश्विक जुड़ाव के माध्यम से विकास को सक्षम बनाना। यह कार्यक्रम एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में नवाचार और विकास को बढ़ावा देने के लिए उद्योग जगत के नेताओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा। इस गोलमेज बैठक में 100 से अधिक उद्योग जगत के नेता भाग लेंगे। यह सम्मेलन वैश्विक और भारतीय दोनों सीईओ को रक्षा और एयरोस्पेस उद्योगों में व्यापार विस्तार और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक अनूठा और अद्वितीय अवसर प्रदान करेगा।

उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है, रक्षा औद्योगिक क्षेत्र की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होती जा रही है। रक्षा क्षेत्र में हर उपलब्धि न केवल हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करती है, बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है। रक्षा अनुप्रयोगों के लिए विकसित की गई प्रौद्योगिकियां अक्सर सिर्फ सैन्य उपयोग से परे होती हैं। वे अक्सर नागरिक क्षेत्र में भी नवाचारों को जन्म देती हैं। ये प्रगति रोजगार सृजन में योगदान देती हैं और आर्थिक विकास को गति देती हैं, जिससे रक्षा क्षेत्र भारत की आर्थिक वृद्धि का एक प्रमुख चालक बन जाता है। मेरा मानना ​​है कि एयरो इंडिया की भूमिका सिर्फ हमारी एयरोस्पेस क्षमताओं को बढ़ाने तक ही सीमित नहीं है। यह आर्थिक मजबूती का एक महत्वपूर्ण चालक भी है, जो हमारी अर्थव्यवस्था के समग्र विकास में योगदान देता है।

रक्षा मंत्री ने एयरो इंडिया में लगने वाले इंडियन पवेलियन के बारे में जानकारी दी कि एक ओर हम अपनी प्रमुख रक्षा फर्मों और उद्योगों को प्रदर्शित कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हम अपने अभिनव स्टार्ट-अप और एमएसएमई को भी आगे ला रहे हैं। कई भारतीय फर्मों के साथ-साथ वैश्विक औद्योगिकों की भागीदारी विश्व मंच पर भारत की बढ़ती तकनीकी शक्ति का प्रमाण होगी। एयरो इंडिया एक महत्वपूर्ण मंच है, जो एक सशक्त भारत, सक्षम भारत, सुरक्षित भारत और आत्मनिर्भर भारत के हमारे दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है। एयरो इंडिया के माध्यम से हम न केवल अपनी रक्षा क्षमताओं का प्रदर्शन कर रहे हैं, बल्कि साझेदारी और सहयोग को भी मजबूत कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य अपने मित्र देशों के साथ साझा हितों के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना, गहन सहयोग और साझा प्रगति को बढ़ावा देना है।

इस बार एयरो इंडिया में 900 से अधिक प्रदर्शक भाग ले रहे हैं, जिनमें लगभग 150 विदेशी प्रदर्शक शामिल हैं। 80 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों के साथ यह भव्य आयोजन भारत की एयरोस्पेस और रक्षा क्षमताओं में बढ़ते वैश्विक विश्वास का प्रमाण है।इसके अलावा लगभग 30 देशों के रक्षा मंत्री या प्रतिनिधि इस आयोजन में भाग लेने आए हैं। 43 देशों के वायु सेना प्रमुखों और सचिवों की उपस्थिति न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय रक्षा समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है।

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(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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