
– केंद्रीय बजट में रक्षा मंत्रालय को 6.21 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये गए
नई दिल्ली, 01 फरवरी (Udaipur Kiran) । भारत के रक्षा क्षेत्र में 2014 के बाद से उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं, जो बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर सैन्य बल से विकसित होकर आत्मनिर्भरता और स्वदेशी उत्पादन पर केंद्रित हो गया है। वैश्विक स्तर पर सबसे मजबूत सैन्य शक्तियों में से एक भारत ने क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने और रणनीतिक लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देश का रक्षा बजट 2024-25 में 6,21,940.85 करोड़ तक पहुंच गया है, जो 2013-14 में 2,53,346 करोड़ रुपये था। भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में 1.27 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड रक्षा उत्पादन करके एक दशक में 174 फीसदी की प्रभावशाली वृद्धि की है। इसी तरह निर्यात 21,083 करोड़ तक पहुंचाने के साथ वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति मजबूत करके आयात पर निर्भरता कम की है।
वैश्विक स्तर पर सबसे मजबूत सैन्य शक्तियों में से एक भारत ने क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने और रणनीतिक लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देश का रक्षा बजट 2013-14 में 2,53,346 करोड़ रुपये था, जो 2024-25 में 6,21,940.85 करोड़ तक पहुंच गया। ‘मेक इन इंडिया’ पहल और नीति सुधारों के माध्यम से सरकार ने घरेलू उत्पादन को सक्रिय रूप से बढ़ावा देकर विदेशी खरीद पर निर्भरता कम की है। यह बदलाव रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिहाज से महत्वपूर्ण रहा है, जिसने देश को उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकियों और उपकरणों के उत्पादन के लिए एक उभरते केंद्र के रूप में स्थापित किया है।
रिकॉर्ड रक्षा उत्पादन: वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का घरेलू रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जो एक रिकॉर्ड ऊंचाई है। यह 2014-15 में 46,429 करोड़ से लगभग 174 फीसदी की प्रभावशाली वृद्धि है। भारत चालू वित्त वर्ष में रक्षा उत्पादन में 1.75 लाख करोड़ का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। भारत का लक्ष्य 2029 तक रक्षा उत्पादन में 3 लाख करोड़ तक पहुंचना है, जिससे वह वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में खुद को स्थापित कर सके।
रक्षा निर्यात में उछाल: भारत का रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2014-15 में 1941 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 21,083 करोड़ रुपये हो गया है। पिछले वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में रक्षा निर्यात में 32.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। पिछले एक दशक में रक्षा निर्यात 21 गुना बढ़ा है, जो वैश्विक रक्षा क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। सरकारी नीतिगत सुधारों, व्यापार करने में आसानी की पहल और आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित होकर भारत अब 100 से अधिक देशों को निर्यात करता है। भारत के पास 2023-24 में रक्षा निर्यात के लिए शीर्ष तीन गंतव्य अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया थे। अब 2029 तक रक्षा निर्यात 50 हजार करोड़ रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य है, जो भारत की विश्वसनीय वैश्विक रक्षा भागीदार बनने की महत्वाकांक्षा है।
निर्यात पोर्टफोलियो: भारत के निर्यात पोर्टफोलियो में बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर-228 विमान, चेतक हेलीकॉप्टर, तेज इंटरसेप्टर बोट और हल्के टॉरपीडो जैसे उन्नत उपकरण शामिल हैं। रूसी सेना के उपकरणों में ‘मेड इन बिहार’ बूटों को शामिल करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, जिसने वैश्विक रक्षा बाजार में भारत के उच्च विनिर्माण मानकों को उजागर किया। भारत के रक्षा क्षेत्र में 2014 के बाद से उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं, जिससे बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर भारतीय सैन्य बल आत्मनिर्भरता और स्वदेशी उत्पादन पर केंद्रित हो गए हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप बजट पेश करने के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इस बजट में समाज के गरीब वर्गों को सशक्त बनाने से लेकर किसानों, एमएसएमई से लेकर उद्योगों तक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उन्नत तकनीकों में अनुसंधान को भी मजबूत किया गया है। बजट में मध्यम और वेतनभोगी वर्ग का विशेष ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस बजट में और बढ़ावा मिला है। वित्त वर्ष 25-26 के लिए रक्षा मंत्रालय के लिए 6.81 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। रक्षा बलों पर 1,80,000 करोड़ रुपये का पूंजीगत परिव्यय हमारे रक्षा बलों के आधुनिकीकरण और विकसित भारत के विजन को साकार करने में एक बड़ी छलांग लगाएगा।
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(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम
