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भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश बनाः राजीव रंजन

नई दिल्ली के पूसा परिसर में बुधवार को 14वें एशियाई मत्स्य पालन और जलीय कृषि मंच (14एएफएएफ) का उद्घाटन करते केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी तथा पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​ललन सिंह

नई दिल्ली, 12 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी तथा पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​ललन सिंह ने आज नई दिल्ली के पूसा परिसर में 14वें एशियाई मत्स्य पालन और जलीय कृषि मंच (14एएफएएफ) का उद्घाटन किया। इस अवसर पर राजीव रंजन सिंह ने सतत मत्स्य पालन के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला।

राजीव रंजन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक बन गया है। मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय डिजिटल मत्स्य पालन मंच और पोत निगरानी, ​​ट्रांसपोंडर और आपातकालीन अलर्ट जैसे अत्याधुनिक डिजिटल समाधानों को लागू कर रहा है।

उन्होंने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड योजना को मछुआरों और मछली किसानों तक बढ़ाया गया है और मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए विभिन्न बीमा योजनाएं शुरू की गई हैं। उन्होंने देश में मत्स्य पालन विकास में इसके योगदान को मान्यता देते हुए इसके तकनीकी प्रस्तावों के लिए आईसीएआर की सराहना की। इसके अलावा उन्होंने जोर देकर कहा कि अनुसंधान संस्थानों को मछुआरों और किसानों द्वारा वैज्ञानिक प्रथाओं को अपनाने में सुधार के लिए केवीके को शामिल करते हुए क्षमता निर्माण पहल करनी चाहिए।

मंत्री ने 14 एएफएएफ एक्सपो का भी उद्घाटन किया, जो एक प्रमुख आकर्षण था, जिसमें राज्य मत्स्य पालन विभागों, शिक्षाविदों, अनुसंधान संस्थानों और उद्योग के हितधारकों को तकनीकी प्रगति का प्रदर्शन करने के लिए एक साथ लाया गया। सचिव, डेयर, डॉ. हिमांशु पाठक तथा डीजी, आईसीएआर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आईसीएआर द्वारा 75 नई मत्स्य पालन तकनीकें तथा उन्नत मछली किस्में विकसित की गई हैं, जो दीर्घकालिक उद्योग लचीलेपन के लिए सतत, कार्बन-तटस्थ मत्स्य पालन तथा जलीय कृषि के प्रति आईसीएआर की प्रतिबद्धता पर बल देती हैं।

मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने सरकार की परिवर्तनकारी पहलों, पर्याप्त निवेशों तथा भारत की नीली अर्थव्यवस्था के लिए नवाचार को आगे बढ़ाने में स्टार्टअप्स की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। पूर्व सचिव, डेयर तथा डीजी आईसीएआर पद्मश्री डॉ. एस. अय्यप्पन ने मत्स्य पालन अनुसंधान में भारत के नेतृत्व पर प्रकाश डाला तथा 14एएफएएफ को एशिया के मत्स्य पालन शोधकर्ताओं का महाकुंभ बताया।

डॉ. एसाम यासीन मोहम्मद, महानिदेशक, वर्ल्डफिश, मलेशिया ने मत्स्य पालन में वैश्विक नवाचारों पर बात की तथा सतत जलीय कृषि में भारत की परिवर्तनकारी पहलों की सराहना की। प्रो. नील लोनेरगन, अध्यक्ष, एशियाई मत्स्य पालन सोसायटी, कुआलालंपुर ने मत्स्य पालन क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया।

डॉ. जे.के. जेना, उप महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान), आईसीएआर, और 14एएफएएफ के संयोजक ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि यह मंच मत्स्य पालन और जलीय कृषि के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस कार्यक्रम में भारत और विदेश के प्रसिद्ध विशेषज्ञों द्वारा 20 से अधिक प्रमुख प्रस्तुतियां दी जाएंगी, जिसमें 24 देशों के 1,000 प्रतिभागी भाग लेंगे।

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(Udaipur Kiran) / दधिबल यादव

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