HEADLINES

जम्मू-कश्मीर में बढ़ता मतदान प्रतिशत लोगों की लोकतंत्र में विश्वास बहाली का परिचायकः उपराज्यपाल

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा (फाइल फोटो)

– प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों ने लोगों में नया विश्वास पैदा किया

– शांति खरीदने से नहीं मिलती, शांति स्थाई रूप से मिलती है जब स्थापित की जाती है

वात्सल्य राय से खास बातचीत

श्रीनगर, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का मानना है कि राज्य के लोगों में एक नया विश्वास पैदा हुआ है और इसका असर विधानसभा चुनाव में भी दिखने लगा है। उन्होंने विश्वास जताया, मुझे लगता है कि लोकसभा चुनाव से ज्यादा मतदान विधानसभा के चुनाव में होने जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण के लिए बुधवार को वोट डाले गए। दक्षिण कश्मीर और जम्मू क्षेत्र की 24 सीटों पर करीब 59 प्रतिशत मतदान हुआ। किश्तवाड़ में 77 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग हुई। लोकसभा चुनाव के दौरान भी जम्मू कश्मीर के मतदाताओं ने मतदान का नया रिकॉर्ड बनाया था।

पहले चरण के मतदान के बाद कैपिटल हेडलाइन्स और (Udaipur Kiran) से विशेष बातचीत में प्रदेश के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, पहले चरण के मतदान की जो रिपोर्ट आ रही हैं, वो बहुत उत्साहजनक हैं। बड़ी संख्या में महिलाएं, युवा और बुजुर्ग मतदान केंद्रों तक जा रहे हैं।

उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू कश्मीर के लोगों में दिख रहे उत्साह की वजहें भी गिनाईं। उन्होंने कहा, थ्री टियर (त्रिस्तरीय) पंचायती राज सिस्टम जम्मू कश्मीर में सबसे देर से लागू किया गया। यहां देरी जरूर हुई लेकिन फंड, फंक्शन और फंक्शनरिज़ ये तीनों हमने तत्काल ट्रांसफर कर दिए। डिस्ट्रक्ट अपेक्स का बजट हो या स्थानीय विकास के काम हों, ये चुने हुए 32 हजार प्रतिनिधि कर रहे थे। इससे एक नई पौध तैयार हुई है और उसकी आकांक्षा इस कदर हिलोरें मार रही है, जिस तरह देश के बाकी हिस्सों में है।

जम्मू कश्मीर में बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या करीब 40 प्रतिशत बताई जा रही है।

कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी इस पर सवाल उठा रहे हैं लेकिन उप राज्यपाल सिन्हा मानते हैं कि ऐसे उम्मीदवार जम्मू कश्मीर के लिए अच्छा संकेत हैं।

उन्होंने कहा, यहां स्वतंत्र उम्मीदवार बड़ी संख्या में चुनाव लड़ रहे हैं। कुछ मायने में जम्मू कश्मीर के लिए इसे मैं शुभ संकेत मानता हूं। इसका अर्थ है कि लोगों के मन में जिज्ञासा पैदा हुई है कि हमारा भी योगदान जम्मू कश्मीर के निर्माण में, उसके भविष्य में और उसके विकास में होना चाहिए।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा मानते हैं कि विकास की योजनाओं, रोजगार के अवसरों और कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर होने की वजह से भी लोगों का भरोसा बढ़ा है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद प्रशासन की सोच और नीति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, इसमें भारत सरकार की नीतियों का बड़ा असर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर में विशेष रुचि ली और स्पष्ट संदेश दिया कि सभी के लिए दरवाजे जरूर खुले हैं लेकिन एक फाइन लाइन (लक्ष्मण रेखा) के आगे जो जाएगा, उसके खिलाफ संविधान और कानून सम्मत कार्रवाई भी होगी।

उन्होंने कहा, एक बात मैंने बार-बार कही कि बेगुनाह को छेड़ो मत और गुनहगार को छोड़ो मत। इसको सिर्फ कहा नहीं गया लागू भी किया गया। भारत सरकार की एक स्पष्ट नीति ये भी रही कि मान्यता है कि शांति खरीदने से नहीं मिलती। शांति स्थाई रूप से मिलती है जब स्थापित की जाती है।

उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा, इसके लिए पूरा प्रयास किया गया। यहां की आवाम को विश्वास में लिया गया। ऐसे तत्व जो शांति में बाधक थे, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की गई। एक 360 डिग्री एप्रोच के साथ ये प्रयत्न हुआ कि केवल आतंकवादियों की संख्या गिनने का नहीं बल्कि उस पूरे टैरर इकोसिस्टम को कैसे खत्म किया जाए?

उन्होंने कहा, आम आदमी को लगा कि हमारे साथ अन्याय नहीं होगा, हमारी बात सही है तो सुनी जाएगी। मैं समझता हूं कि इसके कारण एक नए प्रकार का विश्वास पैदा हुआ है।

उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा, इसके चलते ही लोकसभा चुनाव में आपने देखा होगा कि 35 वर्षों में सबसे ज्यादा मतदान हुआ है और मतदान जो विधानसभा में हो रहा है, उसकी जो रिपोर्ट आ रही हैं, वह बहुत उत्साहजनक हैं।

—————

(Udaipur Kiran) / जितेन्द्र तिवारी

Most Popular

To Top