जयपुर, 17 दिसंबर (Udaipur Kiran) । पाली में लवण-सहिष्णु किस्मों के साथ फसल विविधीकरण से फसल की उपज में 20 से 30 फीसदी तक की वृद्धि देखी गई है। यह जानकारी केंद्रीय कृषि एवं कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी।
उन्होंने बताया कि कृषि संबंधी युक्तियों, हस्तक्षेपों के प्रभाव के संबंध में आकलन किए गए हैं, इसमें विशेष रूप से पाली जिले में लवण-सहिष्णु किस्मों के फसल विविधीकरण के प्रभाव आकलन शामिल हैं। पाली जिले के विभिन्न स्थानों पर गेहूं (केआरएल-210) तथा सरसों (सीएस-54) की लवण-सहिष्णु किस्मों का उपयोग करते हुए खेत परीक्षण (ओएफटी) किए गए हैं। गेहूं और सरसों की औसत पैदावार क्रमश: 36.8 तथा 17.3 क्विं./हेक्टेयर पाई गई। वर्ष 2021-23 के दौरान गेहूं, जौ तथा सरसों सहित लवण-सहिष्णु फसलों पर कुल 319 प्रदर्शन आयोजित किए गए जिनमें क्रमश: 25.3, 20.3 तथा 32.3 प्रतिशत की पैदावार वृद्धि पाई गई। किसानों द्वारा स्थानीय रूप से उगाई जा रही किस्मों की तुलना में लवणसहिष्णु किस्मों जैसे मूंग (विराट), क्लस्टर बीन (आरजीसी-1033), मोठ बीन (सीजैडएम-2) तथा सोरघम (सीएसवी-27) के द्वारा फसल विविधीकरण के फलस्वरूप फसल पैदावार में औसत रूप में 10-15 प्रतिशत की वृद्धि पाई गई। इसके अलावा, प्रदर्शन वाले प्लाटों में मृदा स्वास्थ्य में भी सुधार दर्ज किया गया। इसके साथ ही किसानों द्वारा कुओं से गाद निकालने की स्थानीय मौजूदा प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया गया।
पिछले तीन वर्षों के दौरान, प्रौद्योगिकी प्रदर्शनों के माध्यम से कुल 582 किसान लाभान्वित हुए हैं और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों जैसे प्रशिक्षण, ज्ञानवर्धन दौरे तथा फील्ड दिवस आदि से 849 किसान लाभान्वित हुए हैं।
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(Udaipur Kiran) / रोहित