
– तुलसीघाट पर गंगा जल व पेयजल के प्रति जागरूकता विषयक महिलाओं की कार्यशाला
वाराणसी, 28 फरवरी (Udaipur Kiran) । श्री संकट मोचन फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने कहा कि गंगा की स्वच्छता में महिलाओं की सशक्त भागीदारी है। वे सक्रिय भागीदारी करके गंगा को प्रदूषण से मुक्त कर सकती हैं। प्रो. मिश्र शुक्रवार को तुलसीघाट पर गंगा जल व पेयजल के प्रति जागरूकता विषयक महिलाओं की कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे।
संकट मोचन फाउंडेशन, मदर्स फॉर मदर व आस्ट्रेलिया की संस्था ओज ग्रीन के सयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में उन्होंने कहा कि गंगा जल के प्रदूषण की स्थिति ठीक नहीं है। हमें मिलजुल कर इसके प्रति सचेत रहना होगा। मदर की अध्यक्ष आभा मिश्र ने कहा कि संस्था ने गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए जनमानस में जागरूकता लाने का कार्य किया है। महिलाएं सक्रिय भूमिका व जिम्मेदारी से यह कार्य कर सकती हैं। मां गंगा के प्रति हमारी जिम्मेदारियां भी हैं जिन्हें निभाना हमारा कर्तव्य है।
कार्यशाला में ओज ग्रीन (ऑस्ट्रेलिया) की मुख्य कार्याधिकारी सीईओ पर्यावरणविद सू लेनास्क ने स्लाइड के माध्यम गंगा जल व अन्य जल स्रोत्र के प्रदूषण की चर्चा की। उन्होंने 15 अक्टूबर से 26 फरवरी तक काशी में छह स्थानों टिकरी, रामनगर, नगवां, पुष्कर तालाब,रघुनाथपुर (वरुणा ) पर किए गए जल जांच की संक्षिप्त चर्चा की। कार्यशाला का संचालन करते हुए अदिति मिश्र ने गंगा में गिर रहे सीवर को ज्यादा जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा इसके अलावा अन्य कारक भी गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं जिन्हें समाज के समस्त लोग सक्रिय भागीदारी से दूर कर सकते हैं।
दो सत्रों में आयोजित कार्यशाला में दर्जनों महिलाओं ने सामूहिक चर्चा कर गंगा प्रदूषण के कारण व निवारण समेत जल की शुद्धता पर विचार रखे। उनका सामूहिक विचार था कि गंगा जल या पेयजल के विविध स्रोत्रों को जागरूकता के माध्यम से वर्तमान व अगली पीढ़ी के लिए संरक्षित किया जा सकता है।
—कार्यशाला में सुझाव
– शिक्षक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को गंगा प्रदूषण के बारे में जागरूक करें ताकि वे समाज को इसके बारे में सचेत करें। मदर्स फॉर मदर की सदस्याएं जागरूकता के लिए प्रयास करें। ग्रुप बनाकर सभी लोग गंगा में प्रदूषण रोकने को कहें। समाज को गंगा से जोड़ना होगा। सरकार आधार कार्ड की तर्ज पर ऐसा कार्ड बनवाये जिसमें गंगा या किसी भी नदी में प्रदूषण करने पर दंड विधान का उल्लेख हो। पॉलीथिन का कम से कम प्रयोग करें। बाजार जाएं तो कपड़े का झोला लेकर जाएं। कपड़े के बैग बनाने की योजना के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को जोड़ें ।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
