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अतिआवश्यक मामले में मुख्यमंत्री की पूर्व अनुमति पश्चात ही किए जा सकेंगे अधिकारी-कार्मिक के एपीओ : हाइकोर्ट

jodhpur

जोधपुर, 11 सितम्बर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा कि अतिआवश्यक मामले में मुख्यमंत्री की पूर्व अनुमति पश्चात ही अधिकारी-कार्मिक के पदस्थापन की प्रतीक्क्षा में किया जा सकता है। इसमें अधिवक्ता यशपाल ख़िलेरी व विनीता चांगल ने की याचिकाकर्ता ओर से पैरवी की। राजस्थान हाइकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की एकलपीठ से राहत मिली है।

नागौर निवासी याचिकाकर्ता डॉ महेश कुमार पंवार की ओर से अधिवक्ता यशपाल ख़िलेरी व विनीता ने रिट याचिका दायर कर बताया कि गत 28 वर्षों से चिकित्सा विभाग में कार्यरत व वर्तमान में ऑर्थोपेडिक्स विभाग के प्रमुख विशेषज्ञ डॉ महेश कुमार पंवार ने नागौर के राजकीय जेएलएन जिला अस्पताल में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी पद पर दिनांक 18.08.2021 को जॉइन किया था, तब से ही लगातार अपनी संतोषप्रद सेवाएं दे रहा है। लेक़िन किसी जूनियर चिकित्सक को एडजस्ट करने और प्रमुख चिकित्सा अधिकारी पद पर पोस्टिंग देने के लिए स्थानान्तरण करने पर वर्तमान में रोक/ बैन लगा होने से चिकित्सा विभाग ने एपीओ की गली निकाल कर आदेश 24 जून 2024 से याचिकाकर्ता को एपीओ करते हुए हैडक्वार्टर निदेशालय, स्वास्थ्य भवन, जयपुर कर दिया और अगले ही दिन याची को रिलीव करते हुए जूनियर चिकित्सक को प्रमुख चिकित्सा अधिकारी पद पर पदस्थापित कर दिया गया। उक्त आदेशों को रिट याचिका में चुनोती दी गयी।

याचिका की प्रारंभिक सुनवाई पर हाइकोर्ट की एकलपीठ ने एपीओ आदेश पर स्थगन आदेश जारी करते हुए राज्य सरकार को जवाब तलब किया। राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश कर जाहिर किया गया कि एपीओ आदेश प्रशासनिक आवश्यकता व जनहित को देखते हुए किया गया जो राजस्थान सेवा नियम के नियम 25 क के क्लॉज़ 5 अनुसार सही जारी किया गया है।

अहम मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता ख़िलेरी ने बताया कि वर्तमान में स्थानान्तरण आदेशों पर रोक लगी हुई है ऐसे में स्थानान्तरण नहीं कर पाने के विकल्प के तौर पर एपीओ आदेश जारी कर एक कर्मचारी /अधिकारी को मुख्यालय भेज दिया जाता है और दूसरे चहेते कार्मिक को एपीओ आदेश से खाली हुए पद पर लगा दिया जाता है जो गैरकानूनी और राज्य सरकार के बैन आदेश के भी ख़िलाफ़ हैं।। बैन अवधि में भी अति आवश्यक मामलों में स्थानान्तरण करने के लिए मुख्यमंत्री की पूर्व अनुमति से स्थानान्तरण करने की छूट दे रखी है। बावजूद इसके चिकित्सा विभाग के संयुक्त सचिव ने बिना मुख्यमंत्री की अनुमति के याची का एपीओ आदेश जारी किया है जो गैर कानूनी और गलत है। प्रकरण के तथ्यों और मामले की परिस्थितियों को देखते हुए और याची के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होकर राजस्थान हाइकोर्ट एकलपीठ ने रिपोर्टेबल निर्णय देते हुए याचिकाकर्ता के एपीओ आदेश व रिलीविंग आदेश को निरस्त करने का अहम आदेश देते हुए यह व्यवस्था दी कि एपीओ आदेश को स्थानान्तरण आदेश के विकल्प के रूप में जारी नही किया जा सकता है और न ही किसी कार्मिक को दंड देने अथवा अनुशासनात्मक कार्यवाही के विकल्प के रूप में पारित किया जा सकता है। साथ ही यह भी व्यवस्था दी कि अति आवश्यक होने और व्यापक जनहित व प्रशासनिक आवश्यकता के मद्देनजर मुख्यमंत्री की पूर्व अनुमति से कर्मचारी/अधिकारी का एपीओ आदेश जारी किया जा सकता है।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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