Madhya Pradesh

उज्जैन में दीदी मां ऋतंभरा ने भरी हुंकार-कहा: भारत की नारी अबला नहीं रणचण्डी

उज्जैन में दीदी मां ऋतंभरा

उज्जैन, 29 दिसंबर (Udaipur Kiran) । विश्व हिंदू परिषद, मातृशक्ति दुर्गावाहिनी मालवा प्रांत का शक्ति संगम उज्जैन के सामाजिक न्याय परिसर में रविवार अपरांह हुआ। शक्ति संगम में 25 हजार से अधिक बहनों एवं संतों के बीच मंच से दीदी मां ऋतंभरा ने भरी हुंकार भरते हुए कहा कि भारत की नारी अबला नहीं रणचण्डी है। किसी विधर्मी की आंखे भी आपकी पवित्रता पर पड़े तो उसके इतने टुकड़े करो कि वह जान जाए-भारत की नारी अबला नहीं रणचण्डी है। अपनी पर आए तो अपनी जान न्यौछावर कर दे,लेकिन किसी विधर्मी को अपनी सीमा पार न करने दे।

रविवार को विश्व हिंदू परिषद मातृशक्ति, दुर्गावाहिनी मालवा प्रांत की 25 हजार से अधिक बहनों का एकत्रीकरण महाकाल महालोक के समीप महाकाल अन्नक्षेत्र में हुआ। यहां बहनों ने अल्पाहार लिया और 6-6 की पंक्ति में पंक्तिबद्ध होकर शौर्य यात्रा को प्रारंभ किया। यह शौर्य यात्रा महाकाल महालोक से प्रारंभ होकर कोट मौहल्ला चौराहा,गुदरी,पटनी बाजार, गोपाल मंदिर,छत्रीचौक, खड़े हनुमान,सराफा,सतीगेट, कण्ठाल, कोतवाली रोड़, निजातपुरा,कोयला फाटक होकर सामाजिक न्याया परिसर पहुंचा। यहां भव्य मंच एवं पाण्डाल में करीब 30 हजार बहनों,संतों एवं हिंदू समाज के कार्यकर्ताओं का एकत्रीकरण हुआ।

मंच से संबोधित करते हुए दीदी मां ऋतंभराजी ने सबसे पहले मंच पर उपस्थित एवं मंच के सामने बैठे सभी साधु-संतों-साध्वियों को प्रणाम करते हुए कहा-पूज्य संत महामण्डलेश्वर राधा बाबा,संत पवनजी, महामण्डलेश्वर अच्युतानंदजी, सांसद बालयोगी उमेशगिरिजी,दिनेशजी महाराज,पं.हरिशंकर स्वामीजी आदि का नाम लिया। संबोधित करते हुए कहा- हमने सुना है कि संत तीर्थो में भी मिल जाते हैं। जहां संत होते हैं वहीं स्थान तीर्थ हो जाता है। विहिप के सभी पदाधिकारियों के तप ओर साधना को मैं प्रणाम करती हूं। आशीर्वाद की पात्र हैं दुर्गावाहिनी की दायित्ववान, जिन्होने पूरी उज्जैन को शक्ति का रूप दिया। मैं भारत की तस्वीर हूं….वीरों की जननी हूं… ।

इसके बाद दीदी मां ने सभा को संबोधित करते हुए कहा-पुत्रियों तुम बहुत भाग्यशाली हो क्योंकि तुम हिंदू मां की कोख से जन्मी हो। तुम्हारा सौभाग्यशाली हो कि तुमने भारत भूमि की भक्ति को अपनी संस्कारों से पल्लवित किया है। यदि दुनिया आपसे पूछेगी तो आप कहोगी, मैरा परिचय इतना कि- मैं भारत की तस्वीर हूं….वीरों की जननी हूं… इसके बाद दीदी मां ने सभा को संबोधित करते हुए कहा-पुत्रियों तुम बहुत भाग्यशाली हो क्योंकि तुम हिंदू मां की कोख से जन्मी हो। तुम्हारा सौभाग्यशाली हो कि तुमने भारत भूमि की भक्ति को अपनी संस्कारों से पल्लवित किया है। यदि दुनिया आपसे पूछेगी तो आप कहोगी, मैरा परिचय इतना कि- मैं भारत की तस्वीर हूं। मातृभूमि पर मिटने वाले वीरों की जननी हूं। मातृभूमि पर मिटनेवाले वीरों की शमशीर हूं। हल्दी घाटी की रज का सिंदूर लगाया करती हूं। भारत की स्त्री का श्रृंगार हूं। पद्मावत, चूडावत की सेनानी, मैं योवन की भीषण ज्वाला रणचण्डी हूं महाकाली हूं, मां की ममता, स्नेह बहन का और पत्नि का धीर हूं। मैरा परिचय इतना कि मैं भारत की तस्वीर हूं। कालिदास का अमृत काव्य मैं,मैं तुलसी की रामायण। अमृतवाणी हूं गीता की, घर-घर होता पारायण। मैं भूषण की शिवाभावनी,आल्हा का हुंकारा हूं। सूरदास का मधुर गीत में,मीरा का एकतारा हूं। बरदायी की अमर कथा हूं, मैरा परिचय इतना कि मैं भारत की तस्वीर हूं। इस पद्य काव्य को सुनने के बाद पूरी सभा में वीर रस जाग गया और धर्म की विजय के नारे से पाण्डाल गूंज उठा। विधर्मी स्वत्व का हरण करता है तो सनातनी परंपरा लज्जित हो जाती है।

दीदी मां ने आगे कहा कि-समस्त भारत की अखण्डता, अगर किसी पर निर्भर है तो वह है भारत की नारी पर। आपने कहाकि जब भी ईश्वर को धरती पर आना होता है तो वह किसी मां कौशल्या या किसी मां देवकी की कोख में आश्रय लेते हैं। ऐसे में भारत की नारी अबला,निराश्रय या बेचारी कैसे हो सकती है? पुत्रियों अपनी शक्ति को पहचानों। अपनी शक्ति को समझो। तुम्हारी पवित्रता, तुम्हारा सत, तुम्हारी निष्ठा ही तुम्हारा रक्षा कवच है। कोई विधर्मी तुम्हे लालच देकर, धोखा देकर जब तुम्हारे स्वत्व का हरण करता है, तो पूरी सनातनी परंपरा शर्मसार हो जाती है,लज्जित हो जाती है। हमें दु:ख है कि भारत की पुत्री में से कोई श्रद्धा किसी विधर्मी के चंगुल में फंस जाती है और टुकड़े-टुकड़े करके किसी सुटकेस में कैद कर दी जाती है। उसका शरीर टुकड़े-टुकड़े नहीं होता है पुत्रियों, सनातनी निष्ठा-आस्था-श्रद्धा खण्डित हो जाती है। पिता का स्वाभीमान खण्डित हो जाता है। मां भारती रूदन करने लग जाती है। पुत्रियों शस्त्र धारण करो। जब तक चरित्र है, तब तक सनातन धर्म की ध्वजा लहराती रहेगी।

उन्होंने दर्शन करने के पश्चात कहा कि…. भोले बाबा बहुत प्यारे हैं। वे तीनों तापों का हरण कर लेते हैं। उनके दर्शन करके मैं धन्य हो गई। शक्ति का परिचय हो गया। आज पूरे उज्जैन की गलियां मातृ शक्ति से भरी है। जय श्रीराम के नारों से आसमान गूंज रहा है। यही है मातृशक्ति की शक्ति। दीदी मां ने बाबा महाकालेश्वर का पूजन किया। पूजन पं.प्रशांत पुजारी ने करवाया। दीदी मां ने महाकाल महालोक का अवलोकन ई-कार्ट में बैठकर किया।

(Udaipur Kiran) / ललित ज्‍वेल

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