
अशोकनगर, 20 मार्च (Udaipur Kiran) । रंग पंचमी पर आयोजित प्रसिद्ध करीला मंदिर में मां जानकी के दर्शन करने आए मुख्यमंत्री मोहन यादव का सीढ़ी टूटने से सीढ़ी से गिरना उनकी सुरक्षा में हुई बढ़ी चूक पर क्या प्रशासन अकेले ही जिम्मेदार है? मुख्यमंत्री की सुरक्षा में हुई इस बड़ी चूक पर गड़बड़ी में कई सवाल खड़े होते हैं।
मुख्यमंत्री जैसी सख्शियत के आगमन पर प्रशासन जहां सुरक्षा के सभी इंतजाम तो जुटाता ही है, साथ ही संबधित क्षेत्र के पार्टी के जनप्रतिनिधि गण और संगठन भी सक्रीय होकर प्रशासन की सभी तैयारियों का जायजा लेता है और कमीबेशी को पूरा कराता है।
पर यहां हैरत की बात देखने में आई कि मुख्यमंत्री मोहन यादव का जिले के प्रसिद्ध करीला मेले में तीन दिन पहले से तय हो चुके कार्यक्रम की पार्टी के जनप्रतिनिधियों और पार्टी संगठन के पदाधिकारियों ने कोई सुध तक नहीं ली, कि करीला में मुख्यमंत्री का आगमन होने जा रहा इसको लेकर तैयारियों की कोई बैठक तक आयोजित करना उचित नहीं समझा गया। इतना ही नहीं बल्कि जिस विधानसभा क्षेत्र में करीला मेले का आयोजन होता है उस क्षेत्र के विधायक मुख्यमंत्री के साथ हेलीकाप्टर में बैठकर तो करीला आ गए, पर उनके द्वारा और पार्टी संगठन के पदाधिकारियों के द्वारा करीला मेले में मुख्यमंत्री की तैयारियों और उनकी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कि कहां उचित मंच होना चाहिए? मुख्यमंत्री मंदिर में पूजा अर्चना करने किस रास्ते से जायेंगे-आएंग? पहले से पहुंचकर कोई तैयारियों का जायजा तक लेना मुनासिफ नहीं समझा गया।
सीएम के आगमन को लेकर सिंधिया के क्षेत्र में बेरुखी
अब यहां यह भी बता दें कि जहां मुख्यमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक के बाद प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े हुए, वहीं मुख्यमंत्री के आगमन पर उनकी की सरकार के जनप्रतिनिधि गण, विधायक, पूर्व विधायक, संगठन पदाधिकारियों द्वारा जो बेरुखी दिखाई गई उसको लेकर चर्चा का विषय बन है कि, जब इस क्षेत्र के सांसद और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के आगमन की जानकारी होते ही पूर्व से पार्टी के विधायक, पूर्व विधायक, पार्टी पदाधिकारी सक्रिय होकर बैठकों और उनके आगमन की तैयारियां शुरू कर देते हैं।
संबधित स्थानों पर बड़े-बड़े बैनर-र्होडिंग लगवाने में होड़ लगी रहती है। पर वहीं उनके द्वारा अपनी ही पार्टी के प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के आगमन पर उनकी तैयारियों का जायजा लेना तो दूर की बात उनके बैनर-र्होर्डिंग लगाने में भी विधायक गण, पूर्व विधायक, पार्टी पदाधिकारियों द्वारा बेरुखी दिखाई। जो कहीं न कहीं पार्टी के विधायक गण, पूर्व विधायक, पार्टी पदाधिकारियों के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री की अपेक्षा और क्षेत्रिय सांसद के आगमन पर पलक पाआड़े बिछाना दर्शाता है कि पार्टी-संगठन से ऊपर होकर एक तरफ इन सिंधिया समर्थकों को सिंधिया के संसदीय क्षेत्र में मुख्यमंत्री का आना पसंद नहीं? सवाल तो खड़े होते हैं।
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(Udaipur Kiran) / देवेन्द्र ताम्रकार
