
देहरादून, 27 मई (Udaipur Kiran) । हरियाणा के पंचकूला में एक ही परिवार के 07 सदस्यों की आत्महत्या के मामले में दून पुलिस भी जांच पड़ताल कर रही है। मृतक जिस वाहन में मिले हैं वह वाहन देहरादून निवासी गंभीर सिंह नेगी के नाम से पंजीकृत था। यह परिवार देहरादून कौलागढ़ में किराए के मकान पर रहता था। आसपास के लोगों का कहना है कि यह एक सज्जन परिवार था और उन्हें कभी नहीं लगा कि परिवार के साथ ऐसा भी होगा।
देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने इस मामले में मीडिया से बातचीत की। उन्होंने परिवार के संबंध में जानकारी दी कि मृतक प्रवीण मित्तल पुत्र देशराज मित्तल का परिवार लगभग 8-9 महीने पूर्व तक कोलागढ़, देहरादून में किराए पर निवास करता था, जिनका मूल रूप से निवास चंडीगढ़ क्षेत्र का होना प्रकाश में आया है। वर्तमान में उक्त परिवार देहरादून में निवास नहीं कर रहा था।
उन्होंने बताया कि घटनास्थल से जो वाहन मृतक के पास मिला है, वह मालदेवता, देहरादून के गंभीर सिंह नेगी के नाम पर पंजीकृत है, जिनसे संपर्क किया गया। उन्होंने बताया कि मृतक प्रवीण मित्तल से एनजीओ के काम के सिलसिले में मुलाकात हुई थी। मृतक पूर्व में चाइल्ड लाइफ केअर मिशन नाम से एनजीओ चलाता था। इसी दौरान मित्रता के चलते गंभीर नेगी ने वाहन अपने नाम पर फाइनेंस करवाया था, जिसे वर्तमान में मृतक चलाता था। उन्होंने बताया कि वर्तमान में मृतक परिवार सहित चंडीगढ़ में निवास करता था, यह प्रकाश में आया है।
पड़ोसियों ने बताया सरल और साधारण था मितल परिवार-
आत्महत्या करने वाला परिवार कुछ सालों तक देहरादून में किराए के मकान पर रह चुका था। वह देहरादून कौलगढ़ के राघव विहार में नौटियाल निवास मकान नंबर 274 में तकरीबन तीन साल तक रहा और जब मकान के मालिक नौटियाल ने मकान बेचा तो 2023 में मृतक नरेश मित्तल का परिवार किराए का मकान खाली कर चले गए थे।
देहरादून में मित्तल परिवार के पड़ोसियों ने बताया कि वह हरियाणा के रहने वाले थे। उनके तीन बच्चे थे और वे चंडीगढ़ शिफ्ट हो गए थे। उनके कर्ज़े को लेकर उन्हें कोई जानकारी नहीं है। पड़ोसी बताते हैं कि वह एक साधारण परिवार था। प्रवीण मित्तल की एक अन्य पड़ोसी राजकुमारी नौटियाल के अनुसार, यह परिवार काफी साधारण था। उनकी मां बीमार रहती थीं। प्रवीण मित्तल का प्रेम विवाह हुआ था, जिनके बीच पड़ोसियों ने कभी कोई लड़ाई झगड़ा होते नही देखा और बच्चे देहरादून के ब्लूमिंग बर्ड स्कूल में पढ़ते थे। ससुर की एक दुकान टपकेश्वर मंदिर के पास खुलवाई थी। यह परिवार लगभग एक साल पहले अपने ससुर के साथ चंडीगढ़ शिफ्ट हो गया था। इससे पहले वे करीब तीन साल कोलागढ़ में रहे थे।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pokhriyal
