
जयपुर, 7 मई (Udaipur Kiran) । प्लास्टिक के उपयोग को कम करने, पारंपरिक आयोजनों के लिए किफायती विकल्प प्रदान करने और समाज में एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ‘बर्तन बैंक योजना’ के रूप में एक अभिनव पहल कर रही है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मंशानुरूप यह योजना न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश में एक सकारात्मक मॉडल के रूप में कार्य कर सकती है जो पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता की दिशा में एक नया मार्ग प्रशस्त करेगी।
राज्य सरकार की वर्ष 2025-26 की बजट घोषणा के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में प्लास्टिक के उपयोग से हो रहे पर्यावरण दुष्प्रभाव को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में बर्तन बैंक खोलने घोषणा की गई थी। इसकी पालना में ग्राम पंचायतों पर स्टील के बर्तन उपलब्ध करवाते हुए बर्तन बैंक बनाया जाएगा। प्रथम चरण में एक हजार ग्राम पंचायतों को एक-एक लाख रुपये के स्टील के बर्तन उपलब्ध कराये जाएंगे। चरणबद्ध तरीके से प्रदेश की अन्य ग्राम पंचायतों में भी बर्तन बैंक प्रारंभ किए जाएंगे।
कोटा जिले के रामगंजमंडी विधानसभा क्षेत्र की खैराबाद पंचायत समिति में प्रदेश का पहला स्टील बर्तन बैंक विधिवत रूप से प्रारंभ किया गया है। खैराबाद पंचायत समिति द्वारा इस बर्तन बैंक का संचालन किया जाएगा। प्रारंभ में इस बर्तन बैंक में 900 सेट स्टील बर्तन रखे गए हैं। बाद में आवश्यकता अनुसार इनकी संख्या में वृद्धि की जाएगी।
बर्तन बैंक में विभिन्न प्रकार के स्टील के बर्तन जैसे प्लेट, चम्मच, गिलास, कटोरी आदि के सेट उपलब्ध कराये जाएंगे, जिन्हें ग्राम पंचायत-गांव स्तर पर बैंक के रूप में रखा जाएगा। प्रत्येक ग्राम पंचायत के लिए बर्तन के न्यूनतम 400 सेट उपलब्ध होंगे। प्रत्येक सेट में एक प्लेट, तीन कटोरी, एक चम्मच एवं एक गिलास सहित कुल छह बर्तन होंगे, जिस पर संबंधित ग्राम पंचायत की मार्किंग की जाएगी। बर्तन बैंक में बर्तनों को व्यवस्थित तरीके से रखने एवं प्रदर्शित करने के लिए एक रैक की व्यवस्था भी होगी। बर्तन बैंक के संचालन के लिए आवश्यक श्रमिक-मानवीय सेवाएं राजीविका के स्वयं सहायता समूह द्वारा उपलब्ध करवाई जाएगी।
बर्तन बैंक स्थापित करने के लिए ग्राम पंचायत एवं स्वयं सहायता समूह का चयन ‘पहले आओ-पहले पाओं’ की तर्ज पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाएगा, जिसमें अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, अधिषाषी अभियंता, जिला परिषद और जिला परियोजना समन्वयक, राजीविका सदस्य होंगे।
बर्तन बैंक की स्थापना के बाद नियमित संचालन का पर्यवेक्षण ग्राम पंचायत द्वारा किया जाएगा, जिसकी समीक्षा समय-समय पर स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण), राजीविका तथा जिला-ब्लॉक स्तर के अधिकारियों द्वारा की जाएगी।
राज्य सरकार की यह योजना न केवल प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग पर्यावरणीय संकट, प्लास्टिक कचरे की बढ़ती समस्या, और जलवायु परिवर्तन के खतरे को बढ़ाता है। राज्य सरकार का उद्देश्य यह है कि लोगों को ऐसे विकल्प उपलब्ध कराए जाएं, जिनसे वे प्लास्टिक का उपयोग कम कर सकें और बर्तनों का पुनः उपयोग करें।
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(Udaipur Kiran) / रोहित
