
नई दिल्ली, 20 मार्च (Udaipur Kiran) । दिल्ली की साकेत कोर्ट ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की ओर से दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना के खिलाफ दायर 24 साल पुराने आपराधिक मानहानि मामले में आरोपित वीके सक्सेना को उन प्रश्नों के जवाब देने का निर्देश दिया, जो दोनों पक्षों के वकीलों की सहमति से तैयार किए गए हैं। जुडिशियल मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने 28 मार्च को इन प्रश्नों के जवाब देने का निर्देश दिया।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान मेधा पाटकर की ओर से पेश वकील अभिमन्यु श्रेष्ठ ने इस मामले की सुनवाई एक सप्ताह टालने की मांग करते हुए कहा कि अतिरिक्त गवाहों को पेश करने के आदेश को चुनौती देने के बारे में उसे शिकायतकर्ता का रुख जानना है। सुनवाई के दौरान वीके सक्सेना की ओर से पेश गजिंदर कुमार और मेधा पाटकर के वकील ने कहा कि पिछली तिथि को वीके सक्सेना से पूछने के लिए जो प्रश्न कोर्ट ने साझा किया था वो पर्याप्त थे और नये प्रश्न की कोई जरूरत नहीं है। उसके बाद कोर्ट ने वीके सक्सेना के वकील को निर्देश दिया कि वो इन प्रश्नों के जवाब 28 मार्च तक दाखिल करें।
कोर्ट ने 18 मार्च को वीके सक्सेना से इस मामले पर पूछने के लिए दोनों पक्षों के वकीलों की मदद से प्रश्न तैयार कर वीके सक्सेना के वकील को उपलब्ध कराया था। 18 मार्च को ही कोर्ट ने पाटकर की ओर से अतिरिक्त गवाहों को समन करने की अर्जी खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा था कि ये मामला 24 साल पुराना है और मेधा पाटकर की ओर से दिए गए सभी गवाहों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं। कोर्ट ने कहा था कि मेधा पाटकर ने भले ही अतिरिक्त गवाहों के बयान दर्ज करने की मांग की है लेकिन अर्जी में किस गवाह के बयान दर्ज कराना चाहती हैं इसका उल्लेख तक नहीं है और वो भी इतने साल बीतने के बाद। यहां तक कि 24 वर्षों के ट्रायल के दौरान किसी नये गवाह के नाम का उल्लेख भी कहीं नहीं आया है। ऐसे में शिकायतकर्ता की अर्जी सही प्रतीत नहीं होती है।
मेधा पाटकर ने दिल्ली के उप-राज्यपाल और खादी ग्रामोद्योग निगम के पूर्व चेयरमैन वीके सक्सेना के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया है। ये केस जब दायर किया गया था उस समय अभियुक्त वीके सक्केना नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे।
(Udaipur Kiran) /संजय
(Udaipur Kiran) / वीरेन्द्र सिंह
