शिमला, 4 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में लाखों कर्मचारियों एवं पेंशनरों को वेतन व पेंशन न मिलने का मुद्दा गरमाया हुआ है। इस माह की चार तारीख को भी कर्मचारियों एवं पेंशनरों के बैंक खातों में वेतन व पेंशन नहीं पहुंची। यह मसला बुधवार को राज्य विधानसभा के मानसून सत्र में उठा। विपक्षी दल भाजपा ने इस मामले पर सतारूढ़ कांग्रेस की घेराबंदी करते हुए आरोप लगाया कि राज्य में आर्थिक संकट खड़ा हो गया है और कर्मचारियों व पेंशनरों को वेतन व पेंशन के लिए तरसना पड़ रहा है। इस पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में घोषणा की है कि प्रदेश के कर्मचारियों को इस महीने वेतन पांच तारीख और पेंशनर्स को 10 तारीख को पेंशन दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि वेतन व पेंशन को पहली तारीख की बजाय पांच व 10 तारीख को दिए जाने की मुख्य वजह यह है कि राज्य सरकार खर्चे का प्राप्तियों के साथ मैपिंग करके वितीय संसाधनों का इस्तमेमाल विवेकपूर्ण तरीके से करना चाहती है। प्रदेश सरकार को वेतन व पेंशन की अदायगी हर माह पहली तारीख को करनी पड़ती है जबकि केंद्र सरकार से प्रदेश के हिस्से की रकम बाद में आती है। केंद्र सरकार से राजस्व डिफिस्ट ग्रांट के तौर पर 520 करोड़ की धनराशि छह तारीख और केंद्रीय करों में 740 करोड़ का हिस्सा 10 तारीख को प्राप्त होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्मचारियों को पहली तारीख को वेतन व पेंशन की अदायगी के लिए प्रदेश सरकार को बाजार से लगभग साढ़े सात फीसदी की दर से अग्रिम ऋण उठाकर अनावश्यक तौर पर ब्याज का बोझ वहन करना पड़ रहा है। सरकार को पहली तारीख को वेतन व पेंशन देने के लिए कर्ज उठाना पड़ता है, जिस पर हर माह तीन करोड़ का ब्याज देना पड़ता है। इस तरह सरकार द्वारा खर्चे की रिसिप्ट के साथ मैपिंग करके हर महीने लगभग तीन करोड़ रुपये की राशि बचाई जाएगी।
मुख्यमंत्री ने सदन को अवगत करवाया कि प्रदेश में हर माह कर्मचारियों के वेतन पर 1200 करोड़ और पेंशन पर 800 करोड़ खर्च होते हैं। इस तरह कुल दो हजार करोड़ रुपये प्रति माह का खर्चा वेतन-पेंशन पर आता है। वेतन व पेंशन को लेकर यह व्यवस्था इस महीने के लिए की गई है और आगामी माह में वेतन-पेंशन पहली तारीख को देने का प्रयास किया जाएगा। सरकारी बोर्डाें एवं निगमों पर यह व्यवस्था लागू नहीं होगी। वे अपने संसाधनों का आंकलन करके वेतन व पेंशन भुगतान पर खुद निर्णय ले सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार से प्राप्त अनुमति के आधार पर बाजार से ऋण उठाने के लिए 2317 करोड़ रुपये की बकाया राशि बची है, जिसे राज्य सरकार को आगामी चार महीनों यानी सितंबर से दिसंबर तक विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल करना पड़ेगा।
भाजपा सरकार ने बिगाड़ा प्रदेश का वित्तीय संतुलन
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में इन वित्तीय परिस्थितियों के लिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार जिम्मेदार है। पिछली सरकार ने चुनाव से ठीक पहले मुफ्त रेबड़ियां बांटीं, जिस वजह से प्रदेश का वित्तीय संतुलन बिगड़ गया। वर्तमान सरकार वित्तीय अनुशासन की दिशा में काम कर रही है और आगामी महीनों में अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए और कड़े फैसले लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों से हिमाचल प्रदेश वर्ष 2026 में आत्मनिर्भर होगा और वर्ष 2032 में देश का अमीर राज्य बनेगा।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा