HimachalPradesh

हिमाचल में अनुबंध कर्मचारियों को ज्वाइनिंग से नहीं मिलेगा वरिष्ठता और वित्तीय लाभ 

शिमला, 20 दिसंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश सरकार के अनुबंध कर्मचारियों को अब ज्वाइनिंग की तिथि से वरिष्ठता और वित्तीय लाभ नहीं मिलेंगे। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन राज्य में कर्मचारियों के भर्ती व पदोन्नति नियमों में बदलाव संबंधी विधेयक सदन में ध्वनिमत से पारित कर दिया। मुख्यमंत्री ने बुधवार को विधानसभा में हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा की शर्तें विधेयक 2024 को पेश किया था।

शुक्रवार को विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार के कुछ अनुबंध कर्मचारी अदालत गए थे और उन्होंने ज्वाइनिंग की तिथि से नियमितीकरण का लाभ मांगा था। अदालत ने भी इन कर्मचारियों के पक्ष में फैसला दिया था। उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसलों से अनुबंध का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि अनुबंध वाले कर्मचारियों को ज्वाइनिंग की तिथि से वरिष्ठता दी जाती है तो सरकार को बड़ी संख्या में पहले से ही नियमित कर्मचारियों को डिमोट करना पड़ेगा। इससे सारा सिस्टम बिगड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि कुछ कर्मचारियों ने दबाव डालकर ज्वाइनिंग की तिथि से नियमितीकरण के वित्तीय लाभ भी ले लिए हैं और इन कर्मचारियों की देखा-देखी में बाकी अनुबंध कर्मचारी भी अदालत चले गए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विधेयक प्रदेश के हित में है और इससे सरकार पर पड़ने वाला वित्तीय बोझ भी कम होगा। उन्होंने इस विधेयक को लेकर विपक्ष द्वारा जताई गई शंकाओं को खारिज कर दिया।

इससे पूर्व, भाजपा सदस्य त्रिलोक जम्वाल ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि अनुबंध कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी लड़ाई जीती है, जिसे सरकार अपने एक फरमान से खत्म करना चाह रही है। उन्होंने कहा कि विधेयक में नियमितिकरण और वित्तीय लाभों को लेकर जो प्रावधान किए गए हैं, वह पिछली तारीख से हैं, जो गलत है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार को इस तरह का कानून लाना ही है तो उसे कानून बनने के बाद से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने इस विधेयक को तुरंत वापस लेने की मांग की।

इसी विधेयक पर जेआर कटवाल ने कहा कि इस विधेयक को लेकर सरकार की कुछ वित्तीय मजबूरियां हो सकती हैं, लेकिन जो लोग अनुबंध पर नौकरी कर रेगुलर हुए हैं, उनकी भी सरकार से कुछ अपेक्षाएं है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के कानून बन जाने से कानूनी मामले बहुत संख्या में बढ़ जाएंगे। उन्होंने इस संबंध में महाराष्ट्र हाईकोर्ट के एक फैसले का भी हवाला दिया और कहा कि इस कानून की धारा छह और आठ पर सरकार फिर से विचार करे। इन धाराओं में इस कानून के बैक डेट से लागू होने की बात कही गई है।

विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि सरकार का यह कानून लाने का फैसला कर्मचारी विरोधी है। उन्होंने कहा कि सरकार इस विधेयक को प्रतिष्ठा का सवाल न बनाकर तुरंत वापस ले। विधायक हंस राज ने कहा कि यह विधेयक आना ही नहीं चाहिए था, क्योंकि इसका सीधा असर प्रदेश के 1.36 लाख से अधिक कर्मचारियों पर पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने अनेकों बार अनुबंध कर्मचारियों को उनकी ज्वाइनिंग की तिथि से वित्तीय और नियमितीकरण के लाभ देने की पैरवी की है।

इस विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक अनुबंध पर तैनात कर्मचारियों की वरिष्ठता उनके नियमित होने के बाद तय होगी। अनुबंध कर्मचारियों की वरिष्ठता को लेकर आए विभिन्न अदालती आदेशों के बाद खजाने पर करोड़ों रुपये का बोझ पड़ने का अंदेशा जताया जा रहा था। साथ ही इन आदेशों के बाद सरकार को कर्मियों की वरिष्ठता सूची में भी संशोधन करना पड़ना था। राजकोष पर बढ़ते दबाव के साथ-साथ वरिष्ठता सूची में संशोधन की लंबी कसरत पर खर्च होने वाले ह्यूमन रिसोर्स से बचने के मकसद से सरकार ने यह कानून बनाने का निर्णय लिया है।

विधानसभा में पारित कानून के प्रावधानों के मुताबिक अब अनुबंध पर तैनात कर्मचारी इसके मुताबिक ही नियमित और वरिष्ठता का लाभ ले सकेंगे। कानून के प्रावधानों के मुताबिक राज्य में 21 साल से अनुबंध कर्मचारियों की भर्ती जारी है। अनुबंध पर कर्मचारियों की नियुक्ति के वक्त इनके साथ बाकायदा करार किया जाता है। करार की शर्तों के मुताबिक ही ये नियमित और वरिष्ठता का लाभ ले सकते हैं।

—————

(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

Most Popular

To Top