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अंगदान को लेकर लोगों की झिझक को दूर करने में डॉक्टरों की महत्वपूर्ण भूमिका : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु सोमवार को नई दिल्ली में सफदरजंग अस्पताल के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए

नई दिल्ली, 23 दिसंबर (Udaipur Kiran) ।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने देश में अंग प्रत्यारोपण के लिए प्रतीक्षा कर रहे लोगों का हवाला देते हुए कृत्रिम अंगों के विकास और अंगदान के बारे में जागरूकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अंगदान को लेकर आम लोगों में एक प्रकार की झिझक होती है और इसे दूर करने में डॉक्टरों की महत्वपूर्ण भूमिका है। राष्ट्रपति सोमवार को नई दिल्ली में वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं।

राष्ट्रपति ने कहा कि देश में अंग प्रत्यारोपण के लिए प्रतीक्षा कर रहे लोगों की सूची बढ़ती ही जा रही है। इस कमी को दूर करने में कृत्रिम अंगों का विकास और लोगों द्वारा अंगदान करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अंगदान का बढ़ावा देने के लिए इस अस्पताल परिसर में ही राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) की स्थापना की गई है। यह संगठन अंगदान और प्रतिरोपण के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ अंग और ऊतक दान के लिए लोगों को जागरूक भी बनाता है। अंगदान के प्रति आम लोगों में एक तरह की झिझक होती है। इस झिझक को दूर करने में डॉक्टरों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। आप लोगों को अंगदान के महत्व को बताकर उन्हें इस पुनीत कार्य के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि चिकित्सा कार्य केवल आजीविका का साधन मात्र नहीं है। यह एक ऐसा सेवा क्षेत्र है जो लोगों के दुखों को कम करने, बीमारों का इलाज करने और समाज की भलाई में योगदान देने की पवित्र जिम्मेदारी देता है। डॉक्टरों, शोधकर्ताओं और शिक्षकों के रूप में, चिकित्सा पेशेवरों की लोगों के स्वास्थ्य और जीवन को बेहतर बनाने और उनकी रक्षा करने की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों के पास जो मरीज आते हैं, वे सिर्फ मेडिकल केस नहीं होने चाहिए। वे बीमारी से परेशान और आशंका और उम्मीद के बीच फंसे इंसान हैं। उन्हें न केवल चिकित्सा उपचार बल्कि प्रोत्साहन की भी जरूरत है। इसलिए, एक डॉक्टर की भूमिका न केवल एक चिकित्सक की बल्कि एक दयालु उपचारकर्ता की भी होनी चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग ने चिकित्सा और इंजीनियरिंग संस्थानों के बीच सहयोग को बेहद महत्वपूर्ण बना दिया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एमआरएनए तकनीक, रोबोटिक्स और 3डी बायोप्रिंटिंग के प्रयोग चिकित्सा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बदलाव लाने वाले हैं। वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल अनुसंधान और नवाचार के लिए दिल्ली स्थित इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थानों के साथ सहयोग कर सकते हैं। अंतः विषय ज्ञान साझा करना सभी के हित में होगा।

उन्होंने कहा कि सफदरजंग अस्पताल में हर दिन देशभर से औसतन 10000 लोग इलाज के लिए आते हैं। उन्हें यह जानकर खुशी हुई है कि अस्पताल मरीजों की सुरक्षा और सुविधा के लिए लगातार नई पहल करता रहता है। रोबोटिक रीनल ट्रांसप्लांट, रोबोटिक कार्डियोथोरेसिक सर्जरी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं मरीजों को कम कीमत पर उपलब्ध हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत सरकार ने ‘स्वस्थ भारत’ बनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं। हालांकि, निरंतर सफलता के लिए सभी हितधारकों का सहयोग आवश्यक है। कुशल और समर्पित डॉक्टरों के बिना सरकार द्वारा बनाए गए स्वास्थ्य ढांचे का समुचित उपयोग नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने में युवा डॉक्टर अहम भूमिका निभाएंगे। शिक्षा, अनुसंधान और उद्यमिता के माध्यम से भारत को स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अग्रणी पंक्ति में लाना उनका संकल्प होना चाहिए।

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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार

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