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विकसित भारत 2047 की परिकल्पना में दत्तोपंत ठेंगड़ी के विचारों का महत्वपूर्ण योगदान : नरसी राम बिश्नोई

कार्यक्रम का उद्घाटन करते मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता पवन कुमार को सम्मानित करते कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई।

– दत्तोपंत ठेंगड़ी चेयर के सम्मानित संरक्षण में पैनल चर्चा का आयोजन हुआ

हिसार, 11 नवम्बर (Udaipur Kiran) । गुरु जम्भेश्वर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने साेमवार काे कहा कि विकसित भारत-2047 की परिकल्पना में दत्तोपंत ठेंगड़ी के विचारों का महत्वपूर्ण योगदान है। भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत के आर्थिक कार्यक्रम, सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक सशक्तिकरण के माध्यम से उन्मूलन आदि सभी दत्तोपंत ठेंगड़ी के आर्थिक सिद्धांतों पर आधारित हैं।

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई अर्थशास्त्र विभाग द्वारा दत्तोपंत ठेंगड़ी की 104वीं जयंती के उपलक्ष्य पर विश्वविद्यालय के चौधरी रणबीर सिंह सभागार में ‘विकसित भारत@2047: श्रम संहिता की प्रासंगिकता’ विषय पर हुई पैनल चर्चा का आयाेजन किया गया। उद्घाटन समारोह को कुलपति श्री बिश्नाेई ने बताैर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। पैनल चर्चा का आयोजन दत्तोपंत ठेंगड़ी चेयर के सम्मानित संरक्षण में किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर, मुख्य वक्ता भारतीय संघ के महासचिव पवन कुमार, पूर्व मुख्य श्रम आयुक्त डॉ. ओंकार शर्मा, अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. अश्वनी व विभाग के वरिष्ठतम प्रोफेसर एनके बिश्नोई उपस्थित रहे।

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि दत्तोपंत ठेंगड़ी के विचारों में भारतीय समाज की आत्मनिर्भरता, सांस्कृतिक गौरव और सर्वांगीण विकास की संकल्पना स्पष्ट झलकती है। उन्होंने जीवन के सभी आयामों में ‘राष्ट्र हित सर्वोपरि’ के विमर्श पर बल दिया और उसे अपने सार्वजनिक जीवन के जीवन दर्शन के रूप स्वीकार किया। उन्होंने विकसित भारत की ऐसी संकल्पना प्रस्तुत की, जिसमें केवल आर्थिक उन्नति ही नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रगति भी महत्वपूर्ण है। उनका मानना था कि भारत का विकास न केवल भौतिक संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है, बल्कि नैतिकता, समानता और सांस्कृतिक चेतना पर भी आधारित होना चाहिए।

कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने कहा कि सशक्त होना 2047 तक सशक्त भारत बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में समाज उपयोगी शोध, कौशल विकास एवं नवाचार से आत्मनिर्भरता के लक्ष्यों को हासिल करके हम विकसित भारत-2047 के सपने को साकार कर सकते हैं।

दत्तोपंत ठेंगड़ी के कथन को याद करते हुए पवन कुमार ने कहा कि हिंदुस्तान को जनता के लिए उत्पादन की जरूरत नहीं है, बल्कि जनता द्वारा उत्पादन की जरूरत है। पवन कुमार ने आवश्यकता आधारित न्यूनतम मजदूरी और जीवनयापन में आसानी की आवश्यकता के बारे में बाताया। उन्होंने हरियाणा सहित राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों में मजदूरी का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने न्यूनतम मजदूरी की भी सराहना की। वे हरियाणा में मजदूरी कानून चाहते थे और चाहते थे कि इसे अन्य राज्यों में भी लागू किया जाए।

पैनल चर्चा में डॉ. ओंकार शर्मा, विभागाध्यक्ष डॉ. अश्वनी ने विचार रखे। प्रो. एनके बिश्नोई ने सभी का धन्यवाद किया। सहायक प्रोफेसर डॉ. सोमनाथ, डॉ. ललित शर्मा, डॉ. किरण देवी और डॉ. मनोज कुमार की उपस्थिति में आयोजन टीम के विद्यार्थियों दीप्ति, आरजू, आयुषी, कंचन, कशिश, लकी, हरदीप, राहुल, संदीप, प्रिया, भावना, योगिता और कार्तिक ने अपना योगदान दिया।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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